Akhilesh Yadav: आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेताओं के अपने-अपने दावें और चुनावी वादें है। इन दावों,वादों और नेताओं के दलीलों के बीच चुनावी माहौल की फिजा बदली-बदली सी नजर आ रही है। जिसके मद्देनजर सभी सियासी दल सामाजिक और जातिगत समीकरण के चुनावी चक्रव्यूह को भेदने की जुगत में जुटे हुए हैं।
इसी कड़ी में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव यूपी की सियासत में एक नए पॉलिटिकल फार्मूले पर काम कर रहे है। जिसे PDA फॉर्मूला नाम दिया गया है। अखिलेश यादव इस नए पॉलिटिकल एक्सपेरिमेंट के तहत BJP को सत्ता से बेदखल करने के सीक्रेट प्लान पर काम कर रहे है।
अखिलेश यादव का क्या है PDA फॉर्मूला
अखिलेश यादव ने BJP के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को हराने के लिए जिस PDA फॉर्मूले का जिक्र किया है। जिसका मतलब पिछड़े,दलित और अल्पसंख्यक है। इन जातियों के गोलबंदी के जरिए अखिलेश यादव BJP के खिलाफ बड़ा सियासी अभियान छेड़ने की बात कह रहे है।
बीते दिनों अखिलेश यादव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, हमने BSP का पूरा साथ दिया। अगर साथ ना दिया होता तो वह 10 सांसद नहीं जीत पाती। होने वाले 2024 आम चुनाव में इस बार PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) मिलकर NDA को हरा देंगे। इसके लिए हमारा फार्मूला तैयार है।
अपने बयान में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि ’80 हराओ- BJP भगाओ’। विपक्षी एकजुटता की बैठक बिहार में होने वाली है। इस बैठक में पूरा विपक्ष एक छतरी के नीचे होगा और पूरी तरह से एकजुट होकर एक संकल्प के साथ चुनाव मैदान में उतरेगा। इस बैठक में देश के सभी क्षेत्रीय दल एक उद्देश्य और एक लक्ष्य के साथ शामिल होंगे।
PDA फॉर्मूले का क्या है जातिगत गणित
यूपी में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग (OBC) का है। लगभग 52 फीसदी पिछड़ा वोट बैंक में 43 फीसदी वोट बैंक गैर-यादव बिरादरी का है। तो वहीं अगर हम दलित वोटर्स की बात करें तो यूपी में 22 फीसदी दलित वोटर्स हैं। दलित यूपी में दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक जाटव जिनकी आबादी 55 फीसदी फीसदी तो दूसरा गैर-जाटव जिसकी आबादी 45 फीसदी है। इसके साथ देश में मुस्लिमों की आबादी 16.51 फीसदी है तो यूपी में करीब 20 फीसदी मुसलमान यानी 3.84 करोड़ है। ऐसे में समाजवादी पार्टी की नजर इन तीनों वोट बैंक के सहारे BJP को करारी शिकस्त देने की है। First Updated : Sunday, 18 June 2023