All India Ulema Board on Mohan Bhagwat Statement: ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान का स्वागत किया है, जिसमें उन्होंने मंदिर-मस्जिद विवाद पर राजनीति करने वालों को आड़े हाथों लिया है. बोर्ड ने कहा कि भागवत के इस स्पष्ट संदेश से देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को कम करने में मदद मिलेगी. बता दें कि अखिल भारतीय उलेमा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव अल्लामा बुनई हसनी ने कहा कि मोहन भागवत के इस बयान का असर निश्चित रूप से देश के सामाजिक सौहार्द पर पड़ेगा. उन्होंने कहा, ''भागवत ने स्पष्ट कर दिया है कि अयोध्या जैसे मसलों को दोहराकर कोई हिंदू नेता बनने की कोशिश करेगा तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा. भारतीय समाज को इस बयान को अपनाने और इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है.''
भागवत के बयान से विवादों पर लगाम की उम्मीद
आपको बता दें कि मोहन भागवत ने अपने भाषण में मंदिर-मस्जिद विवादों को खारिज करते हुए कहा कि देश का शासन संविधान के अनुसार चलता है और अब वर्चस्व की राजनीति का दौर समाप्त हो गया है. उन्होंने कहा, ''मंदिर-मस्जिद के रोज नए विवाद निकालकर कोई नेता बनना चाहता है तो यह स्वीकार्य नहीं होना चाहिए. हमें दुनिया को यह दिखाना है कि भारत में सभी एक साथ रह सकते हैं.''
वहीं आपको बता दें कि भागवत ने आगे कहा कि भारत की संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने की शिक्षा देती है. हालांकि, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि समय-समय पर कट्टरपंथी सोच ने बाधाएं खड़ी की हैं. उन्होंने कहा, ''आखिरी बार औरंगजेब के समय कट्टरवाद का शासन था. अब हमें पुरानी लड़ाइयों को भूलकर सभी को साथ लेकर चलना होगा.''
उलेमा बोर्ड की अपील
इसके अलावा आपको बता दें कि अल्लामा बुनई हसनी ने कहा कि भागवत का बयान देश में शांति और भाईचारे को बढ़ावा देगा. उन्होंने कहा, ''इस बयान को भारत के हर समाज तक पहुंचाना जरूरी है ताकि अमन-चैन कायम रहे.'' First Updated : Saturday, 21 December 2024