Allahabad High Court on Gyanvapi Masjid: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मस्जिद की जगह पर एक मंदिर की "पुनर्स्थापना" की मांग करने वाले मुकदमे की स्थिरता को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. मामले में अगली तारीख अदालत तय करेगी.
वाराणसी की अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 1991 में वाराणसी जिला अदालत में इस मामले में दायर मूल मुकदमे को चुनौती दी है. यह मुकदमा उस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग करता है जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद है. मुकदमे में दावा किया गया है कि मस्जिद मंदिर का हिस्सा थी.
मुख्य न्यायाधीश ने मामले को किया था स्थानांतरित
28 अगस्त के एक आदेश के तहत तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने यह कहते हुए मामले को न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया से अपने पास स्थानांतरित कर दिया था कि रोस्टर के अनुसार एक न्यायाधीश ने दो साल से अधिक समय तक इन मामलों की सुनवाई जारी रखी, भले ही उनके पास कोई क्षेत्राधिकार नहीं था."
उन्होंने आगे कहा था कि मामले को सिंगल न्यायाधीश पीठ से मुख्य न्यायाधीश की अदालत में वापस लेने का निर्णय न्यायिक औचित्य, न्यायिक अनुशासन और मामलों की सूची में पारदर्शिता के हित में प्रशासनिक पक्ष द्वारा लिया गया था. न्यायमूर्ति दिवाकर 22 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद मामला न्यायमूर्ति अग्रवाल के समक्ष सूचीबद्ध किया गया.
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने दी थी चुनौती
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वकील एस एफ ए नकवी ने कहा कि याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का व्यापक सर्वेक्षण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को वाराणसी अदालत के निर्देश को भी चुनौती दी गई है. यह आदेश 8 अप्रैल, 2021 को पारित किया गया था. First Updated : Friday, 08 December 2023