Allahabad High Court Comments: दुष्कर्म के बढ़ते मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कड़ी टिप्पणी की है. इस दौरान उच्च न्यायालय ने अपने टिप्पणी में कहा कि, लंबे समय से चल रहे प्रेम प्रसंग के दौरान बने शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि भले ही किसी भी कारणवाश शादी से इनकार किया गया हो. कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए दुष्कर्म के आरोपी प्रेमी के खिलाफ निचली अदालत में चल रही अपराधिक कार्यवाही रद्द कर करन का फैसला सुनाया. साथ ही दुष्कर्म के आरोपी जियाउल्लाह की ओर से निचली अदालत में दाखिल चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार कर ली. यह आदेश जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने दिया.
शादी से इंकार करने पर दर्ज कराया मामला
दरअसल, उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर के महिला थाने में दर्ज मामले के अनुसार, युवती ने प्रेमी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था. रिपोर्ट दर्ज कराते समय प्रेमिका ने अपने बयान में कहा था कि, 2008 में बहन की शादी के दौरान गोरखपुर में प्रेमी से मुलाकात हुई थी. इसके बाद परिजनों की सहमति से प्रेमी गोरखपुर मिलने उसके घर आने लगा.
साल 2013 से इन दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनाना शुरू हो गया था. प्रेमिका का आरोप है कि उसके परिजनों ने प्रेमी को व्यापार करने के लिए सऊदी अरब भी भेजा, जहां से वापस लौटने के बाद उसने शादी करने से इंकार कर दिया. जिसके बाद प्रेमिका ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था.
याचिकाकर्ता के वकिल ने क्या कहा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई को दौरान याचिकाकर्ता के वकिल ने दलिल देते हुए कहा कि, शारीरिक संबंध बनाते वक्त पीड़िता बालिग थी और उसने अपनी मर्जी से संबंध बनाए. लेकिन शादी से इनकार करने के कारण उसने झूठा मुकदमा दर्ज कराया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दलीलों और पीड़िता के बयानों के आधार पर दोनों पक्षों को सुना. इसके बाद कोर्ट ने याची जियाउल्लाह के खिलाफ दाखिल पुलिस की चार्जशीट को रद्द कर दिया. First Updated : Wednesday, 20 September 2023