जमात-ए-इस्लामी और AIP का गठबंधन, जम्मू-कश्मीर में चुनावी सियासत का नया मोड़

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए जमात-ए-इस्लामी और इंजीनियर राशिद की अवामी इतिहाद पार्टी (AIP) ने गठबंधन किया है. इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि यह गठबंधन बाहरी एजेंसियों के इशारे पर काम कर रहा है. पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने भी गठबंधन पर टिप्पणी की, यह कहते हुए कि सेक्युलर दलों को मिलकर चुनाव लाना चाहिए था. वहीं बीजेपी नेता राम माधव ने इसे कट्टरपंथी संगठनों का गठबंधन बताया. दोनों दल पहले चरण के चुनावों में एक-दूसरे के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे, जिससे चुनावी मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है.

JBT Desk
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Jammu & Kashmir: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए जमात-ए-इस्लामी और इंजीनियर राशिद की अवामी इतिहाद पार्टी (AIP) ने एक गठबंधन का ऐलान किया है, जिसे लेकर राजनीति में हलचल मची हुई है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्लाह ने इस गठबंधन पर कटाक्ष करते हुए इसे 'एजेंसियों के इशारे पर चलने वाला' बताया है. उमर ने आरोप लगाया कि इस गठबंधन के सदस्यों के तार कहीं और से जुड़े हुए हैं और इशारा भी वहीं से आता है.

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस गठबंधन को एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में पेश किया है. उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी ने भी सेक्युलर दलों को एक साथ लाने की कोशिश की थी, लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सीटों की राजनीति के चलते सहयोग नहीं किया. महबूबा ने यह भी कहा कि अगर सभी सेक्युलर दल मिलकर चुनाव लड़े तो दिल्ली द्वारा भेजे गए स्वतंत्र उम्मीदवारों से वोटों का विभाजन रोका जा सकता है.

वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने जमात-ए-इस्लामी और AIP के गठबंधन की आलोचना करते हुए इसे कट्टरपंथी संगठनों का मिलन बताया है. उन्होंने चेतावनी दी कि जम्मू-कश्मीर की जनता को ऐसी ताकतों से सतर्क रहना चाहिए, जो कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थन करते हैं. 

गठबंधन की चुनावी रणनीति

जमात-ए-इस्लामी और AIP ने पहले चरण के चुनावों के लिए गठबंधन किया है. इंजीनियर राशिद ने बताया कि इस गठबंधन के तहत, दोनों पार्टियां एक-दूसरे के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगी. जहां जमात-ए-इस्लामी का उम्मीदवार नहीं होगा, वहां AIP मदद करेगी और जहां दोनों दलों के उम्मीदवार होंगे, वहां 'फ्रेंडली मुकाबला' होगा. इस रणनीति का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना और चुनावी मुकाबले को मजबूत बनाना है.

जमात-ए-इस्लामी और AIP का यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक सूरत को बदल सकता है. विभिन्न दलों की प्रतिक्रियाएं और इस गठबंधन की रणनीति यह संकेत देती है कि आगामी चुनावों में प्रतिस्पर्धा तीव्र रहने वाली है और चुनावी नतीजे इस बात को स्पष्ट करेंगे कि यह गठबंधन कितना प्रभावी साबित होता है.

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16 September 2024, 09:23 PM IST

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