Ambedkar Jayanti 2023: 15 साल की उम्र में ही हो गयी थी शादी, बचपन से ही भेदभाव का शिकार होना पड़ा,जानिए फिर कैसे बने इतने महान व्यक्ति?
आज डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती है, जिनकी बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है, इन्होने हमारे देश में दलित और पिछड़ी जाति के वर्गों के लोगों को आरक्षण दिलाने में अपना योगदान दिया और तो और भारत का सविधान भी निर्माण किया।
हाइलाइट
- आज़ादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू के केबिनेट में अंबेडकर को पहली बार लॉ मिनिस्टर बनाया गया था लेकिन आज भी पूरा भारत इनके बारे में नहीं जानता।
Ambedkar Jayanti 2023: हर वर्ष 14 अप्रैल को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने हमारे देश के लिए काफी कुछ किया है। यह लाखों लोगों के एक प्रेणना स्रोत हैं। भीम ने समाज से जात - पात, ऊंच - नीच जैसे भेदभाव को मिटाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। जिसमें दलित समाज को आरक्षण दिलाया था, यही नहीं सविधान का निर्माण करने में भीम का काफी अधिक योगदान रहा था। आज के इस पोस्ट में हम आपको डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जीवन के उन पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे जिनसे सीख लेकर वह आज इतने महान व्यक्ति बन सके और कैसे हुआ उनका निधन तो आइये जानते हैं।
एक महार (दलित) परिवार में जन्मे थे भीम
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 1891 में 14 अप्रैल को महाराष्ट्र के एक महार यानी (दलित) परिवार में हुआ। दलित परिवार में जन्म होने के कारण भीम को बचपन से ही जात - पात, ऊंच - नीच को लेकर काफी कुछ सहना पड़ता रहा। उन्होंने भेदभाव को लेकर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। वह शुरू से ही एक जिद्दी किस्म के इंसान रहे थे। उनके पिता का नाम - रामजी मालोजी सकपाल था और माता का नाम - भीमाबाई था। भीम अपने परिवार के सबसे छोटे और अपने माँ - बाप की 14वी और आखरी संतान थे। इनके पिता इंडियन आर्मी में सूबेदार थे जिनकी पोस्टिंग इंदौर के मऊ में थी। बाबा साहेब के पिता के 1894 में उनके पिता के रीटायर्मेंट के बाद पूरा परिवार महाराष्ट्र के सतारा में शिफ्ट हो गया था। जिसके कुछ समय बाद भीमराव की माता का निधन हो गया। जिसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर बॉम्बे में शिफ्ट हो गए। जिसके बाद अंबेडकर की आगे की पढ़ाई बॉम्बे में हुई।
जब उनके साथ यह भेदभाव और जात - पात को लेकर व्यवहार किया गया तो उन्होंने अपने मन में ठान ली की इस समाज से इस भेदभाव की सोच को जड़ से खत्म करके रहेंगे। अपने मन में ऐसी ज्वाला भड़काई जो आगे चलकर एक शोला बन गयी और समाज को एक महान व्यक्ति मिला जो था डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जिसने हमारे देश के संविधान का निर्माण किया।
भीमराव अंबेडकर जी को बाबा साहेब नाम से भी जाना जाता है। बाबा साहेब उन में से एक हैं जिन्होंने भारत के संविधान को बनाने में अपना काफी बड़ा योगदान दिया था। यह एक जाने - माने राजनेता व प्रख्यात विधिवेता थे। बाबा साहेब वो हैं जिन्होंने देश से छूआछूत जातिवाद को मिटाने के लिए काफी आंदोलन किये थे। बाबा साहेब ने अपना पूरा जीवन गरीबों के नाम कर दिया।
15 साल की उम्र की हो गयी थी शादी
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की शादी 15 साल की उम्र में एक 9 साल की रमाबाई के साथ हो गयी थी। इसके बाद भीम ने 1908 में अपनी बारहवीं कक्षा की परीक्षा पास की। वह बचनपन से ही छुआछूत और जात - पात को लेकर सुनते आ रहे थे। जहां ऊँची जाति के लोग उन्हें छूना भी पसंद नहीं करते थे। जिसके कारण वह समाज में काफी भेदभाव का शिकार बने। उन्हें आर्मी स्कूल में भी इस भेदभाव का शिकार होना पड़ा था जहां उनकी जाति के लोगों को कक्षा में बैठाया भी नहीं जाता था।
पिछड़ी जाति वर्ग के लोगों को भी दिलाया आरक्षण
भीम ने दलित समाज के लोगों को जागरूक करने का कार्य किया, समाज में उन्होंने दलित वर्ग को अन्य जाति वर्ग के समान करने के लिए विशेष आरक्षण दिलाया। यही नहीं उन्होंने पिछड़ी जाति वर्ग को भी यह सब न सहना पड़े इसलिए उनको भी आरक्षण दिलाने में मदद की जिससे यह सभी अन्य लोगों की तरह खुलकर जी सकें। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने समाज में जाट - पात ऊंच - नीच को खत्म करने का सबसे ज़्यादा प्रयास किया था।
आज़ादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू के केबिनेट में अंबेडकर को पहली बार लॉ मिनिस्टर बनाया गया था, लेकिन इसके बावजूद भी आज भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के संघर्षों के बारे में पूरा भारत नहीं जनता है।