'किसी की नागरिकता नहीं छीन सकता CAA', मुसलमानों को भड़काया जा रहा है: अमित शाह
Amit Shah: सीएए को साल 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था. हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक इसके नियमों को अधिसूचित नहीं किया है. इस कानून के विरोध में उस वक्त देश के कोने-कोने विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था.
Amit Shah On Citizen Amendment Act (CAA): केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर मुस्लिम समुदाय को भड़काया जा रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू करने की घोषणा करते हुए उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय को आश्वासन दिया कि उनकी नागरिकता नहीं छीनी जाएगी. राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, "सीएए देश का एक अधिनियम है, इसे निश्चित रूप से अधिसूचित किया जाएगा. सीएए को चुनावों द्वारा लागू किया जाएगा और इसे लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक्ट में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है.
अमित शाह ने कहा कि "हमारे देश में अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से हमारे मुस्लिम समुदाय को भड़काया जा रहा है. सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीन सकता क्योंकि अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है. सीएए बांग्लादेश और पाकिस्तान में सताए गए शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का एक अधिनियम है.
2019 में संसद से पारित हुआ था सीएए
बता दें कि सीएए को 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था. हालांकि, केंद्र ने अभी तक इसके नियमों को अधिसूचित नहीं किया है. यह अधिनियम पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए भारतीय नागरिकता देने के प्रक्रिया को आसान बनाने के मकसद से लाया गया था जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे. 2019 में, अधिनियम के पारित होने से राष्ट्रीय राजधानी के शाहीन बाग इलाके में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ.
अमित शाह ने सीएए को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला
इस कानून को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए अमित शाह ने कहा, "सीएए कांग्रेस सरकार का एक वादा था. जब देश का विभाजन हुआ और उन देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ, तो कांग्रेस ने शरणार्थियों को आश्वासन दिया था कि भारत में उनका स्वागत है और उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी. अब वे पीछे हट रहे हैं." कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा हस्ताक्षरित एक संवैधानिक एजेंडा था लेकिन बाद में कांग्रेस पार्टी ने अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के कारण इसे नजरअंदाज कर दिया.
उत्तराखंड विधानसभा से पारित हुए यूसीसी को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करना एक सामाजिक परिवर्तन है. इस मुद्दे पर सभी मंचों पर चर्चा की जाएगी और कानूनी जांच का सामना किया जाएगा. एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म आधारित नागरिक संहिता नहीं हो सकती."