अमित शाह के भाषण पर कांग्रेस को 'X' का मैसेज,कहा- हटा दो पोस्ट! क्या सच में है अभिव्यक्ति पर पाबंदी?
कांग्रेस नेताओं ने अमित शाह के राज्यसभा भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें उन्होंने अंबेडकर को लेकर विवादित टिप्पणियां की थीं. इसके बाद, 'एक्स' ने कांग्रेस को सरकारी आदेश का हवाला देते हुए पोस्ट हटाने का संदेश भेजा. कांग्रेस ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए विरोध जताया है. लेकिन क्या वाकई ये कदम कानूनी था या फिर सोशल मीडिया के जरिए विपक्ष को दबाने की कोशिश? जानें पूरी कहानी!
Congress Gets X Message: बुधवार (18 दिसंबर, 2024) को कांग्रेस के नेताओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' से एक चौंकाने वाला संदेश मिला, जिसमें उन्हें अपनी पोस्ट हटाने को कहा गया. यह पोस्ट अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए भाषण के विवादित हिस्से पर आधारित थी, जिसमें उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान को लेकर टिप्पणी की थी. कांग्रेस नेताओं ने यह वीडियो क्लिप शेयर किया था, जिसके बाद 'एक्स' ने यह संदेश भेजा, जिसमें सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि यह सामग्री भारतीय कानून का उल्लंघन कर रही है और इसे तुरंत हटा दिया जाए.
क्या था विवाद?
अमित शाह के भाषण में भारत के संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान पर चर्चा की गई थी, जो विपक्षी दलों के लिए आपत्ति का कारण बना. उनके बयान को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी, जबकि अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इन आरोपों का जवाब दिया.
'एक्स' का संदेश
एक्स द्वारा भेजे गए संदेश में कहा गया कि प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं के स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया कि कांग्रेस द्वारा शेयर की गई सामग्री भारत के कानून का उल्लंघन करती है और इसे हटाने का आदेश दिया गया था. इस कार्रवाई का संदर्भ गृह मंत्रालय के साइबर अपराध समन्वय केंद्र से प्राप्त एक नोटिस में था, हालांकि एक्स या गृह मंत्रालय ने इस पर कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की है.
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेताओं ने इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया. उनका कहना है कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इस तरह के दबाव के तहत काम करने से बचना चाहिए. इस पूरे घटनाक्रम ने एक नया विवाद पैदा कर दिया है, जिसमें राजनीतिक पार्टियां और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बीच तनाव बढ़ता नजर आ रहा है.
समाप्त नहीं हुआ विवाद
अमित शाह का बयान और कांग्रेस की प्रतिक्रिया के बाद यह मामला अब और जटिल हो गया है. जहां कांग्रेस अपने नेताओं की आवाज को दबाने की कोशिश का आरोप लगा रही है, वहीं सरकार ने इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बताया है. यह विवाद भविष्य में और अधिक राजनीतिक व कानूनी सवालों को जन्म दे सकता है. इस मामले ने एक बार फिर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और उनके नियंत्रण को लेकर सवाल उठाए हैं. क्या वाकई लोकतंत्र में किसी भी पार्टी या संगठन की अभिव्यक्ति को इस तरह से दबाया जा सकता है? यह सवाल अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है.