Amit Shah On Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने के बाद अमित शाह का पहला बयान सामने आया है. शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शान के कहा कि अब बंद हो चुकी चुनावी बॉन्ड योजना राजनीतिक फंडिंग प्रक्रिया से "काले धन को खत्म करने" के लिए शुरू की गई थी. अमित शाह ने कहा कि अब जब इस योजना को खत्म कर दिया गया है, तो उन्हें डर है कि फंडिंग प्रक्रिया में "काला धन" वापस आ जाएगा.
गौरतलब है कि 2018 में शुरू हुई केंद्र सरकार की इस योजना को पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने अब खत्म कर दिया है. अमित शाह ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं देना चाहते हैं लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं.
गृह मंत्री ने कहा कि योजना लागू होने से पहले, राजनीतिक पार्टियों को नकदी के माध्यम से धनराशि दी जाती थी. योजना की शुरुआत के बाद, कंपनियों या व्यक्तियों को पार्टियों को दान के लिए बॉन्ड खरीदने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को एक चेक सबमिट करना पड़ता था. उन्होंने आगे कहा "एक धारणा है कि बीजेपी ने चुनावी बॉन्ड योजना से लाभान्वित हुई क्योंकि वह सत्ता में है. राहुल गांधी ने भी कहा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट है. पता नहीं ये बातें उनके लिए लिखता कौन है,"
गृह मंत्री ने विपक्षी पार्टियों की आलोचनाओं का जवाब देते हुए पूछा, "बीजेपी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से लगभग 6,000 करोड़ रुपये मिले. कुल बॉन्डों की राशी 20,000 करोड़ रुपये जिसमें सभी पार्टियों का हिस्सा शामिल है तो फिर बाकी के 14,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड कहां गए?" उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब धन के लेन-देन नकदी के माध्यम से किया जाता है, "वे पार्टी में 100 रुपये जमा करते हैं और 1,000 रुपये अपने घरों में रखते हैं."
चुनावी बॉन्ड एक प्रकार का वित्तीय उपकरण है जो भारतीय राजनीतिक पार्टियों को चुनावी धन की दान राशि प्राप्त करने के लिए प्रदान किया जाता है. यह बॉन्ड एक विशेष प्रारूप में होता है, जिसे लोग खरीद सकते हैं और फिर पार्टियों को देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इस योजना के तहत, योगदानकर्ता की व्यक्तिगत जानकारी को गुप्त रखा जाता है, जिससे उनकी पहचान न की जा सके. चुनावी बॉन्डों का उद्देश्य यह है कि लोग खुले तौर पर और बिना डरे प्रार्थी पार्टियों को धनराशि प्रदान कर सकें. यह बॉन्ड संबंधित बैंकों के माध्यम से खरीदा जा सकता है और वहां से पार्टियों को सीधे भेजा जा सकता है. First Updated : Saturday, 16 March 2024