Anglo Indian Explainer: भारत में कैसे अस्तित्व में आए 'एंग्लो इंडियन'? 'आर्चीज़' देखने के बाद इस समुदाय को जानने की बढ़ेगी इच्छा
Anglo Indian Explainer: नेटफ्लिक्स पर हाल ही में द आर्चीज़ फिल्म रिलीज हुई है. उसमें एक कम्युनिटी दिखाई गई है, जिसे एंग्लो इंडियन कहा जाता है. आज आपको बताएंगे कि कैसे ये एंग्लो इंडियन भारत के निवासी बने.
Anglo Indian Explainer: 'द आर्चीज़'. कहानी रिवरडेल नाम के एक काल्पनिक शहर के बारे में है. ये समय 1964 का था. करीब पांच हजार की आबादी वाले कस्बे के मध्य स्थित पार्क पर होटल बनाने की साजिश चल रही है. स्थानीय प्रशासन को व्यवसायियों के हाथों बेच दिया गया है. प्रस्ताव पास कराने के पक्ष में वोट करने के लिए कोई नोट बांटता दिख रहा है तो कोई नई नई रणनतीयां बनाते दिख रहा है. इस फिल्म के हिसाब से भारत में भ्रष्टाचार इसी वक्त से चल रहा है.
क्यों खास है द आर्चीज़?
असल जिंदगी में देखें तो इस फिल्म के खास होने की वजह है उसके कलाकार. इस फिल्म से शाहरुख खान की बेटी, श्रिदेवी की छोटी बेटी और अमिताभ बच्चन का नाती नजर आए हैं. बॉलीवड के स्टार किड एक साथ आर्चीज में नजर आए हैं. वहीं, इस फिल्म को खास बनाती है इसकी कहानी, इस फिल्म में एक ऐसे छोटे से समुदाय के बारे में बताया गया है जो आज़ादी से पहले से ही अस्तित्व में आने लगा था. इस कहानी में सात युवा हैं, जिनको फिल्म में एंग्लो-इंडियन बताया गया है.
कौन होते हैं एंग्लो-इंडियन?
एंग्लो इंडियन यानी वह भारतीय जिसके पिता के वंशज यूरोपीय देशों से संबंध रखते हों, यानी उन बच्चों के वंशज ब्रिटेन के नागरिक रहे हों. ऐसा कहा जाता है कि एंग्लो इंडियन शब्द ब्रिटिश नागरिकों द्वारा गढ़ा गया था. जब अंग्रेज हमारे देश पर शासन कर रहे थे, तब भारत में रेलवे ट्रैक बिछाए जा रहे थे और उनमें काम करने वाले अधिकांश कर्मचारी यूरोपीय देशों के थे. इसके बाद वह भारत में बस गए और यहीं शादी कर ली. अब उनसे पैदा हुए सभी बच्चे एंग्लो इंडियन के नाम से जाना गया.
भारत में कैसे रह गए एंग्लो-इंडियन?
भारत में ब्रिटिश सरकार ने लगभग 200 साल तक राज किया. व्यापार के इरादे से आए अंग्रेज़ों ने हमारे देश पर ही कब्जा कर लिया था. 200 सालों में उन्होंने यहां पर बहुत से काम किए कुछ लोग अपेन परिवार के साथ यहां आकर बस गए, तो कुछ लोगों ने यहीं पर अपना परिवार बनाया. कुछ अंग्रेज ऐसे थे जो भारत में आए और यहीं की लड़की से शादी करके अपना अपना घर बसाए. इन दोनों से जो भी संतान हुई उसको एंग्लो इंडियन के तौर पर जाना गया, ये नाम भी अंग्रेजो ने ही दिया था.
एंग्लो इंडियन भारत से गए क्यों नहीं?
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक अच्छे दूसरे बुरे, ऐसा ही अंग्रेजों के साथ भी था. एक तरफ जहां अंग्रेजों ने भारत के लोगों पर अत्याचार किए वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी थे जो इस देश को प्यार करते थे अपना घर मानते थे. इसकी वजह उनके परिवार में भारतीय लड़की का होना भी हो सकता है. जब देश आजाद हुआ तो ऐसे ही एंग्लो इंडियन यहीं रह गए जो बाकी अंग्रेज़ो के साथ वापस नहीं लौटे, उन्होंने भारत को ही अपना देश माना.
अभी भारत में एंग्लो इंडियन कितने हैं?
एंग्लो इंडियन के आंकड़ों को लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन जनगणना 2011 में एंग्लो इंडियन के 296 सदस्य बताए गए हैं. इस जनगणना पर ऑल इंडिया एंग्लो इंडियन एसोसिएशन ने आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को लेटर लिका था जिसमें बताया कि इनकी तादाद लाखों में है.
भारत में एंग्लो इंडियन की स्थिति
संविधान के अनुच्छेद 331 के तहत एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो लोगों को संसद के लिए नामांकित किया जा सकता है. वहीं, अनुच्छेद 333 के तहत इस समुदाय के सदस्यों को विधानसभा में भी जगह मिल सकती है. 2019 तक 14 राज्यों की विधानसभाओं में एक-एक एंग्लो-इंडियन सदस्य थे, इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.