अयोध्या के राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा से पहले राम लला के गर्भगृह का मुख्य द्वार पर सोने से बना दरवाजा लगाया गया है. अभी 13 दरवाजे प्राण-प्रतिष्ठा से पहले लगाए जाएंगे. राम मंदिर में लगने वाले 44 दरवाजों में 14 स्वर्ण जड़ित दरवाजे होंगे. अब तक सोने से जड़े 4 दरवाजे लगाए जा चुके हैं. वहीं, बाकी 10 सोने से जड़े दरवाजे प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले लगाए जाएंगे. अयोध्या में राम मंदिर पहला मंदिर नहीं है, जहां पर सोने के दरवाजे लगे हैं. देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां पर सोने का वर्क देखने के लिए मिलता है. आज हम आपको इन्हीं मंदिरों के बारे में बता रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस) में बना काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर को 1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया था. इसके बाद पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के दो शिखरों को सोने से जड़वाया था. वहीं, तीसरे शिखर को उत्तर प्रदेश सरकार के धार्मिक व सांस्कृतिक मंत्रालय ने सोने से जड़वाया था. इस मंदिर के निर्माण में कुल 1500 किग्रा सोने का इस्तेमाल किया गया है.
पंजाब के अमृतसर में गोल्डन टेम्पल के नाम से दुनियाभर में मशहूर श्री हरिमंदिर साहिब की ऊपरी मंजिल के बाहरी हिस्से को 400 किग्रा सोने की परत से जड़वाया गया है. सोने की इसी परत के कारण इसका नाम गोल्डन टेम्पल पड़ा है. श्री हरिमंदिर साहिब में सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' रखा है. इस मंदिर की गिनती भारत के सबसे धनी मंदिरों में होती है.
वेंकट तिरुमला हिल की सातवीं चोटी पर बने श्री वेंकटेश्वर मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की 8 फीट ऊंची प्रतिमा है. मंदिर के गर्भ गृह को सोने की कारीगरी से सजाया गया है. इस जगह को आनंद निलय दिव्य विमान कहा जाता है. इसके अलावा मुख्य प्रतिमा को कीमती पत्थरों से भी सजाया गया है.
तिरुअनंतपुरम में बना श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है. इसके प्रबंधन का जिम्मा त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास है. मंदिर में स्वर्ण प्रतिमा, स्वर्ण आभूषण समेत कीमती पत्थरों को मिलाकर करीब 90 हजार करोड़ की कुल संपत्ति है. मंदिर में सोने से बने दो नारियल रखे हैं. इनको कीमती पत्थरों से सजाया गया है. मंदिर के 28 खंभों पर सोने की परत चढ़ाई गई है. वहीं, इसके 7 मंजिला गोपुरम के सातों शिखर सोने से जड़े हुए हैं.
तमिलनाडु में वेल्लूर गोल्डन टेम्पल है, जो देवी महालक्ष्मी को समर्पित है. इसे लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर का मंडप और विमान सोने से सजाया गया है. करीब 100 एकड़ में फैले मंदिर परिसर में सैकड़ों प्रतिमाओं को स्वर्णकारों ने करीने से सजाया है. मंदिर का एक्सटीरियर सोने की प्लेटों और परत से डिजाइन किया गया है. इस मंदिर को बनाने में कुल लागत 300 करोड़ रुपये आई है. इसके निर्माण में 1500 किग्रा सोने का इस्तेमाल किया गया है.
महाराष्ट्र के शिरडी में मौजूद साई बाबा मंदिर में गर्भ गृह को कई किग्रा सोने से सजाया गया है. साई बाबा मंदिर का निर्माण साल 1922 में किया गया था. यह मंदिर मुंबई से करीब 296 किमी दूर है. शिरडी के साई बाबा मंदिर को देश के सबसे अमीर मंदिरों में गिना जाता है. हर साल मंदिर में सोने का जबरदस्त चढ़ावा आता है.
माया नगरी मुंबई में भगवान गणेश को समर्पित सिद्धिविनायक मंदिर है जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इस मंदिर के दरवाजों पर सोने की परत चढ़ाई गई है. इसके अलावा दरवाजों को सोने की पत्तियों से भी सजाया गया है. गर्भगृह को भी सोने की परत से खूबसूरती दी गई है. इसके अलावा मंदिर की अंदरूनी दीवारों पर शुद्ध सोने का काम है. कहा जाता है कि मंदिर में सोने का काम पूरा करने में कारीगरों को 6 महीने का समय लगा था.
जम्मू-कश्मीर की त्रिकूट हिल्स पर स्थित माता वैष्णोदेवी मंदिर में एक प्राकृतिक गुफा है. इस गुफा के मुख्य दरवाजे पर सोने, चांदी और तांबे का काम किया गया है. दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कारीगरों ने इस द्वार में 11 किग्रा गोल्ड, 1,100 किग्रा चांदी और 1,200 किग्रा तांबे का इस्तेमाल किया है. हर साल कई सौ किग्रा सोना, चांदी चढ़ावे के तौर पर मंदिर में आता है.
सबरीमला का भगवान अय्यपा मंदिर के गर्भगृह की छत को सोने की परत से सजाया गया है. इसकी छत में 32 किग्रा गोल्ड, 1900 किग्रा तांबे का काम किया गया है. इस काम में करीब 18 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. First Updated : Friday, 12 January 2024