Manipur Violence: हिंसा के बाद म्यांमार भागे 212 लोगों को सेना लाई वापस, CM बीरेन सिंह ने किया धन्यवाद

Manipur Violence: मणिपुर में बीते तीन मई को मैतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में आयोजित की गई आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान राज्य में हिंसा की आग शूरू हो गई थी.

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Manipur Violence: मणिपुर के सीमावर्ती शहर से म्यांमार गए 200 से ज्यादा भारतीयों को वापस सुरक्षित ले आने के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) ने ट्वीट कर भारतीय सेना का धन्यवाद किया है. एन बीरेन सिंह ने शुक्रवार (18 अगस्त) को ट्वीट कर लिखा कि 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने पर मणिपुर के मोरेह शहर से पड़ोसी देश म्यांमार (Myanmar) भागने वाले 212 भारतीय सुरक्षित घर लौट आए हैं. 

मणिपुर से म्यांमार भागे लोगों की वापसी के लिए एन बीरेन सिंह ने भारतीय सेना को धन्यवाद दिया. भागने वाले में सभी मैतई समुदाय के लोग शामिल हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन लोगों को घर लाने के लिए भारतीय सेना का बहुत-बहुत धन्यवाद. जीओसी पूर्वी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, जीओसी 3 कॉर्प, लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही और 5 एआर के सीओ, कर्नल राहुल जैन का बहुत शुक्रिया. 

हिंसा में सबसे ज्यादा प्रभावित था मोरेह

मणिपुर की राजधानी इम्फाल से करीब 110 किमी की दूरी पर स्थित मोरेह हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित था. मोरेह में कुकी, मैतई और तमिलों की मिश्रित वालों लोगों की आबादी रहती है. मोरेह में अन्य समुदाय के लोग भी रहते हैं. मुख्यमंत्री ने साथ ही ये भी कहा कि जातीय-संघर्ष से ग्रस्त राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

 

तीन मई को हुई थी हिंसा की शुरूआत

बता दें कि मणिपुर में बीते तीन मई को मैतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में आयोजित की गई आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान राज्य में हिंसा की आग शूरू हो गई थी.मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और सैंकड़ों लोग बेघर हो गए हैं. 

मणिपुर की कुल आबादी में मैतई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है जोकि इंफाल घाटी में रहते हैं. जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.  First Updated : Saturday, 19 August 2023