16 दिसंबर को देश ने 'विजय दिवस' मनाया और हमारे वीर जवानों की शौर्य और साहस को सलाम किया. 1971 की युद्ध के उस ऐतिहासिक दिन को याद किया गया जब पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) एक नए देश के रूप में जन्म लिया. इस युद्ध में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने अद्भुत शौर्य दिखाया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना और नौसेना ने कंडोम का बड़े पैमाने पर आदेश दिया था? आइए जानें क्यों.
1971 की जंग में भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में चढ़ाई शुरू की थी. वहां की जमीन दलदली और नदियों से भरी हुई थी, जिससे सैनिकों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा था. उन्हें डर था कि उनके राइफल्स की नाल में पानी और कीचड़ चला जाएगा और उनकी राइफल्स बेकार हो जाएंगी. तब एक आईडिया आया कि राइफलों के नाल को सूखा रखने के लिए कंडोम का इस्तेमाल किया जाए.
इससे पहले सेना ने राइफलों के नाल को गमछों से ढकने की कोशिश की थी, लेकिन इससे पानी तो नहीं रुक सका. फिर कंडोम के इस्तेमाल का ख्याल आया. सैनिकों ने डॉक्टर से तीन-तीन कंडोम मांगे, तो शुरुआत में डॉक्टरों को यह मजाक लगा. लेकिन बाद में यह सच साबित हुआ कि कंडोम ने राइफलों को सूखा रखने में मदद की और सैनिकों की राइफल्स प्रभावी बनीं.
इसी तरह, भारतीय नौसेना ने भी इस जंग में कंडोम का इस्तेमाल किया. चिटगांव बंदरगाह पर पाकिस्तानी जहाजों को निशाना बनाने के लिए नेवी ने लिम्पेट माइन का इस्तेमाल किया था, जो पानी के संपर्क में आते ही विस्फोट कर देता था. लेकिन कंडोम का इस्तेमाल करके इन माइन को वॉटरप्रूफ बना दिया गया, जिससे उन्हें दुश्मन के जहाजों के नीचे रखकर उन्हें नष्ट किया जा सका. यह वाकया दिखाता है कि भारतीय सेना और नौसेना ने युद्ध के दौरान किसी भी समस्या का समाधान खोजने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और कंडोम का यह इस्तेमाल उनकी चतुराई और साहस का प्रतीक बन गया. First Updated : Monday, 23 December 2024