4 Years Of Abrogation Article 370: आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को हटाया गया था. आज इसको खत्म किए 4 साल पूरे हो गए हैं. आर्टिकल 370 के हटने के बाद कश्मीर में बहुत से बदलाव आए हैं. हाल ही में कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस आर्टिकल के हटने के बाद होने वाले बदलावों को लेकर बात की. जिसमें उन्होने कहा कि कश्मीर में सड़क पर होने वाली हिंसा में कमी आई है, इसके साथ ही राज्य में और भी बड़े बदलाव आए हैं.
श्रीनगर में निकला मुहर्रम का जुलूस
बदले जम्मू-कश्मीर में शिया-मुस्लिमों को उनका हक मिला. इसके साथ ही लगभग 34 साल बाद श्रीनगर में ताजिया निकाला गया. यहां पर फैलते आतंकवाद की वजह से मुहर्रम का जुलूस निकालना बंद हो गया था. क्योंकि इस दौरान आतंकी हमलों के खतरे ज़्यादा रहते थे. आर्टिकल 370 हटाने के दशकों बाद ये जुलूस निकाला गया. अफसर इस बात से खुश हैं कि जुलूस एक दम शांति के साथ निकला, इसमें किसी तरह की कोई हिंसा नहीं हुई. शांति के साथ जुलूस का निकलना कश्मीर की बदली तस्वीर दिखाता है.
शरणार्थियों को मिली नागरिकता
नागरिकता संशोधन विधेयक बिल को सरकार की तरफ से अमित शाह ने रखा था. उस वक्त उन्होने कहा था कि पीओके हमारा है और वहां पर रहने वाले लोग भी हमारे हैं. इसका असर आर्टिकल 370 हटने के बाद दिखा, जब जम्मू-कश्मीर में पीओके से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी गई. इसके साथ ही हज़ारों वाल्मिकी परिवारों को उनका हक दिलाया गया.
हमलों में आई कमी
रिपोर्टस के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में आतंकवादी हमलों में भी कमी देखी गई. आंकड़ों के अनुसार, जब से आर्टिकल हटाया गया है तब से हमलों में 78 प्रकीशत कमी आई है. साल 2015 से 4 अगस्त से 2019 तक के समय के मुकाबले, 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद 30 प्रतीशत हमलों में कमी आई है. इसके साथ ही मरने वालों की तादाद में भी 42 प्रतीशत कमी आई है, और जवानों की शहादत भी 57 प्रतीशत कम हुई है.
इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को किसी दूसरी जहग पर शादी करने की इजाज़त नहीं थी, लेकिन अब वो भारत में कहीं भी शादी कर सकती हैं. इससे उनका सम्पत्ती का अधिकार भी नहीं खत्म होगा.
बकरवालों को मिलेगा रिज़र्वेशन
कश्मीर में गुज्जर और बकरवालों को लेकर रिजर्वेशन देने का ऐलान किया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने गुज्जर और बकरवालों के एसटी रिजर्वेशन देने की घोषणा की है, इसको लेकर जल्द ही संसद में एक बिल पैश किया जा सकता है. जनगणना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में करीब 13 लाख लोग गुज्जर और बकरवाल समुदाय से हैं. First Updated : Saturday, 05 August 2023