What is Article 371 : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र सरकार का फैसले को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने सही ठहराया है. 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. केंद्र के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इसके बाद 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हमेशा के लिए खत्म हो गई. लेकिन आज भी देश के 13 राज्यों में अनुच्छेद 371 लागू है. जिसके तहत राज्यों को कई तरह के विषेशाधिकार दिए गए है, तो कई चीजों पर प्रतिबंध लगाया गया है.
भारत में 26 जनवरी 2023 में जब संविधान लागू हुआ तब आर्टिकल 371 नहीं था. विभिन्न संविधान संशोधनों के जरिए 371 को जोड़ा गया है. संविधान के भाग-21 में आर्टिकल 369 से लेकर आर्टिकल 392 तक को परिभाषित किया गया है. इस भाग को 'टेम्पररी, ट्रांजिशनल एंड स्पेशल प्रोविजन्स' का नाम दिया गया है. आर्टिकल 371 में उन राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए थे जो राज्य पिछड़े थे और उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पाया था. संविधान में आर्टिकल 371 के अलावा आर्टिकल 371A से 371J तक अलग-अलग राज्यों के लिए प्रावधान किए गए हैं.
आर्टिकल 371 गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू होता है. इसके तहत, गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल को कुछ विशेष अधिकार मिलते हैं. इसके तहत महाराष्ट्र के राज्यपाल विदर्भ और मराठवाड़ा के लिए और गुजरात के राज्यपाल सौराष्ट्र और कच्छ के लिए अलग-अलग विकास बोर्ड का गठन कर सकते हैं. हिमाचल प्रदेश में इस आर्टिकल के तहत यहां कोई बाहरी व्यक्ति यहां खेती करने के लिए जमीन नहीं खरीद सकता.
साल 1962 में इसको जोड़ा गया था. आर्टिकल 371-A के तहत नागालैंड को 3 तरह के विशेष अधिकार दिए गए हैं. पहला- भारत का कोई भी कानून नगा लोगों के सांस्कृतिक और धार्मिक मामलों पर लागू नहीं होता है. दूसरा- आपराधिक मामलों में नगा लोगों को राज्य के कानून के तहत सजा मिलती है. संसद के कानून और सुप्रीम कोर्ट का आदेश इन पर लागू नहीं होते. तीसरा- नागालैंड में दूसरे राज्य का व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता.
अनुच्छेद 371बी को 22वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1969 के तहत जोड़ा गया था. इसमें प्रावधान है कि राष्ट्रपति राज्य के जनजातीय क्षेत्रों से निर्वाचित सदस्यों से युक्त विधानसभा की एक समिति के गठन और कार्यों का प्रावधान कर सकते हैं.
27वें संविधान संशोधन के जरिए आर्टिकल-371C को जोड़ा गया था. ये मणिपुर में लागू है. इसके तहत, राष्ट्रपति मणिपुर विधानसभा में एक समिति बना सकते हैं. इस समिति में राज्य के पहाड़ी इलाकों से चुने हुए सदस्यों को शामिल कर सकते हैं. समिति का काम राज्य के पहाड़ी इलाकों के बसे लोगों के हित में नीतियां बनाना होता है.
साल 1973 में इसे जोड़ा गया था और यह आंध्र प्रदेश में लागू होता था. साल 2014 में आंध्र से अलग होकर तेलंगाना बना, जिसमें भी कानून लागू होता है. इसके तहत, राष्ट्रपति को अधिकार दिया गया है कि वो राज्य सरकार को आदेश दे सकते हैं कि किस नौकरी में किस वर्ग के लोगों को रखा जा सकता है.
संसद का कानून अनुच्छेद 371 डी आंध्र प्रदेश में एक विश्वविद्यालय की स्थापना की अनुमति देता है, लेकिन इस भाग के अन्य प्रावधानों के अर्थ में यह कोई "विशेष प्रावधान" नहीं है.
इसे 1975 में 36वें संविधान संशोधन के जरिए जोड़ा गया था. इसमें कहा गया है कि सिक्किम के राज्यपाल के पास राज्य में शांति बनाए रखने और उसके लिए उपाय करने का अधिकार है. इसके तहत, सिक्किम की खास पहचान और संस्कृति को संरक्षित रखने का प्रावधान है. इसके अलावा, 1961 से पहले राज्य में आकर बसे लोगों को ही सिक्किम का नागरिक माना जाएगा और सरकारी नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी.
संविधान के 53वें संशोधन के जरिए 1986 में इसे जोड़ा गया था. यह मिजोरम पर लागू होता है. इसके तहत, मिजो लोगों के धार्मिक, सांस्कृति, प्रथागत कानूनों और परंपराओं को लेकर विधानसभा की सहमति के बगैर संसद कोई कानून नहीं बना सकती. इसके अलावा, इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि यहां की जमीन और संसाधन पर किसी गैर-मिजो को नहीं मिल सकती.
संविधान में 55वें संशोधन के तहत इस आर्टिकल को जोड़ा गया. यह अरुणाचल प्रदेश में लागू है. इसके तहत, राज्यपाल को कानून-व्यवस्था के लिए कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं. राज्यपाल चाहें तो मुख्यमंत्री का फैसला भी रद्द कर सकते हैं. इस तरह का अधिकार बाकी किसी दूसरे राज्यपाल के पास भी नहीं है.
यह गोवा में विधानसभा गठन से जुड़ा हुआ है. इसके तहत, गोवा विधानसभा में 30 से कम सदस्य नहीं होंगे.
साल 2012 में 98वें संशोधन के जरिए इसे जोड़ा गया था. ये कर्नाटक में लागू होता है. इसके तहत, हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के छह जिलों को विशेष दर्जा दिया गया है. इसे अब कल्याण-कर्नाटक कहते हैं. इन जिलों के लिए अलग विकास बोर्ड बनाने का प्रावधान आर्टिकल-371J में किया गया है. साथ ही स्थानीय लोगों को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण भी दिया जा सकता है. First Updated : Tuesday, 12 December 2023