Arvind Kejriwal Letter To Mohan Bhagwat: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने के बाद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को लेकर लगातार सवाल उठाए हैं. पहले उन्होंने जनता की अदालत में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से पांच सवाल पूछे थे, और अब उन्होंने एक पत्र लिखकर अपने सवालों को और विस्तार से प्रस्तुत किया है. इस पत्र में केजरीवाल ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिटायरमेंट तक कई मुद्दों पर सवाल खड़े किए हैं.
केजरीवाल ने पत्र में लिखा कि यह पत्र वह एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक सामान्य नागरिक के तौर पर लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश के वर्तमान हालात को लेकर वे बेहद चिंतित हैं. उन्होंने बीजेपी की केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस दिशा में देश की राजनीति को ले जाया जा रहा है, वह पूरे राष्ट्र के लिए हानिकारक है.
केजरीवाल ने अपने पहले सवाल में केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का प्रयोग करके दूसरी पार्टियों के नेताओं को तोड़ा जा रहा है और उनकी सरकारों को गिराया जा रहा है. क्या इस तरह की राजनीति लोकतंत्र के लिए सही है?
दूसरे सवाल में केजरीवाल ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह भ्रष्ट नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक नेता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, लेकिन बाद में उसी नेता को पार्टी में शामिल कर लिया और उपमुख्यमंत्री बना दिया. क्या बीजेपी का यह रवैया आरएसएस की विचारधारा के अनुरूप है?
तीसरे सवाल में केजरीवाल ने बीजेपी और आरएसएस के संबंधों पर सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि क्या आरएसएस ने कभी प्रधानमंत्री मोदी को गलत कार्यों से रोकने की कोशिश की है?
चौथे सवाल में केजरीवाल ने जेपी नड्डा के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी को अब आरएसएस की जरूरत नहीं है. केजरीवाल ने पूछा कि क्या इस बयान से आरएसएस कार्यकर्ताओं को ठेस नहीं पहुंची?
पांचवें सवाल में केजरीवाल ने 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट के कानून पर सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि जब इस कानून के तहत लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं को रिटायर कर दिया गया तो प्रधानमंत्री मोदी पर यह नियम क्यों लागू नहीं होता?
अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र के माध्यम से बीजेपी और आरएसएस के ऊपर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि मोहन भागवत और आरएसएस इन सवालों का क्या जवाब देते हैं.