क्या अयोध्या की मस्जिद को इस्लाम विरोधी लोग बना रहे हैं? जानिए क्यों छिड़ा विवाद
असदुद्दीन ओवैसी ने अयोध्या में बनने जा रही मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने कहा है कि इस मस्जिद में नमाज़ पढ़ना भी गुनाह है.
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अयोध्या में बनने जा रही मस्जिद को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. लल्लटॉप को दिए इंटरव्यू में ओवैसी ने कहा कि ये कोई मस्जिद है, इस मस्जिद में नमाज पढ़ना भी गुनाह है. मैं इसकी तरफ मुड़कर देखना भी पसंद ना करूं. ओवैसी ने अपने जवाब में यह भी कहा कि यह मस्जिद-ए-ज़रारा है. हालांकि उनसे पूछा गया कि इसका मतलब क्या होता है तो उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक चीज है, यहां बहस लंबी हो जाएगी. लेकिन इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आखिर ओवैसी ने अयोध्या वाली मस्जिद को मस्जिद-ए-ज़रारा क्यों कहा है?
भीख भी मांगता तो जमीन मिल जाती:
असदुद्दीन ओवैसी ने इंटरव्यू के दौरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यह फैसला आस्था की बुनियाद पर हुआ है. ऐसे में तो कोई भी कह सकता है कि मेरी आस्था आपसे बड़ी है. हम लोग अदालत में जमीन लेने के लिए नहीं गए थे. आप मस्जिद तोड़ देंगे और उसके बदले में हमें जमीन दे दी जाएगी? अगर मुझे जमीन ही चाहिए तो भीख मांगने पर भी मिल जाएगी.
क्या है मस्जिद-ए-ज़रारा?
ओवैसी ने इस दौरान यह भी कहा कि यह मस्जिद-ए-ज़रारा है. हालांकि ओवैसी से यह भी सवाल पूछा गया कि मस्जिद-ए-ज़रारा क्या होता है? तो उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक चीज है, लंबी बहस है. लेकिन हम आपको बताते हैं कि मस्जिद-ए-ज़रारा मदीना की एक मस्जिद थी. इस मस्जिद को मुनाफिक (इस्लाम विरोधी) ने बनवाया था. ताकि वो मस्जिद की आड़ में यहां पर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे सके.
क्या था मकसद?
मस्जिद-ए-ज़रारा बनवाने के पीछे कई मकसद थे. पहला तो यह कि मुसलमानों को नुकसान पहुंचाना, दूसरा मुस्लिम समुदाय में फूट डालना ताकि मुस्लिम समुदाय दो हिस्सों में बंट जाए. यह मस्जिद दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिद 'कुबा' के करीब थी. ऐसे में मस्जिद-ए-ज़रारा को बनवाने का मकसद यह भी था कि मस्जिद ए कुबा में कम लोग नमाज़ पढ़ने जाएं.
पैगंबर (स.) ने करा दी तबाह:
मस्जिद बनाने के बाद, इस्लाम विरोधियों ने पैगम्बर मोहम्मद (स.) से इस जगह पर नमाज़ पढ़ने के लिए कहा गया. ताकि अन्य मुसलमान भी इस मस्जिद की तरफ रुख करने लगें. हालांकि पैगम्बर मोहम्मद साहब नमाज़ के लिए तैयार हो गए थे लेकिन उस वक्त उन्हें कहीं जाना था. जिसकी वजह से कहा था कि वो वापस आकर वहां पर नमाज़ पढ़ेंगे. लेकिन उससे पहले ही पैगम्बर मोहम्मद साहब के पास अल्लाह का पैगाम आ गया था. इस दौरान कुछ आयतें भी नाजिल हुई थीं. जिसमें उन्हें बताया गया था कि यह इस्लाम विरोधियों की साजिश है. आप नमाज पढ़ने ना जाएं. जिसके बाद पैगम्बर मोहम्मद साहब ने हुक्म दिया और मस्जिद को तबाह करवा दिया.