Asaduddin Owaisi: यूक्रेन-रूस जंग में सेना सुरक्षा सहायक का काम कर रहे भारतीय, ओवैसी ने की एस जयशंकर से अपील
Asaduddin Owaisi: ओवैसी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन भारतीयों का जिक्र किया है जो यूक्रेन-रूस में युद्ध में लड़ने के लिए मजबूर हैं.
Asaduddin Owaisi: AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर से उन तीन भारतीयों को बचाने का आग्रह किया, जिन्हें कथित तौर पर यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में लड़ने के लिए 'मजबूर' किया गया है. ओवैसी ने द हिंदू की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारतीयों को कथित तौर पर एक एजेंट ने धोखा दिया था. उन्हें 'सेना सुरक्षा सहायक' के रूप में काम करने के लिए वहां भेजा था. तीनों भारतीय उत्तर प्रदेश, गुजरात, और जम्मू-कश्मीर से हैं.
एस जयशंकर को ओवैसी ने किया टैग
रूस-यूक्रेन की चल रही जंग के बीत ये पहली बार है कि वहां रूसी सेना के साथ लड़ने वाले भारतीयों की मौजूदगी की सूचना मिली है. विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग करते हुए ओवैसी ने ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि 'कृपया इन लोगों को घर वापस लाने की कोशिश की जाए. उनकी जान खतरे में है और उनके परिवार वाजिब रूप से चिंतित हैं.'
Sir @DrSJaishankar kindly use your good offices to bring these men back home. Their lives are at risk & their families are justifiably worried. https://t.co/pDmvdeO5HZ
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 21, 2024
परिवार से नहीं हुआ संपर्क
औवेसी ने अपने ट्वीट में लिखा कि 'उन्होंने 25 दिनों से अपने परिवार से संपर्क नहीं किया है. परिवार उनके बारे में बहुत चिंतित है और उन्हें भारत वापस लाने का इरादा रखता है, क्योंकि वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाले हैं.'
पीड़ितों में से एक, जो लगभग 20 वर्ष का है, ने द हिंदू को बताया कि वे तीनों फैसल खान नाम के एक एजेंट के माध्यम से रूस आए थे, जो एक यूट्यूब चैनल चलाता है. कथित तौर पर पीड़ितों को सहायक के रूप में तैनात करने का वादा किया गया था.
जंग में काम करवा रही सेना
इंडिया टुडे के मुताबिक, पीड़ितों ने कहा कि उन्हें रूसी सेना ने हथियार और गोला-बारूद संभालने का प्रशिक्षण दिया गया था और रूस-यूक्रेन सीमा पर रोस्तोव-ऑन-डॉन में बंदूक की नोक पर लड़ने के लिए मजबूर किया गया था. उन्होंने बताया कि 'हम नवंबर 2023 में यहां पहुंचे, और हमसे अनुबंध पर हस्ताक्षर कराए गए जिसमें कहा गया था कि हमें सेना सुरक्षा सहायकों के रूप में काम पर रखा जा रहा है.
भारतीयों ने कहा कि भर्ती से पहले 'हमें साफ तौर पर बताया गया था कि 'हमें युद्ध के मैदान में नहीं भेजा जाएगा', साथ ही हर महीने 1.95 लाख रुपये वेतन और 50,000 रुपये बोनस का वादा किया गया था. लेकिन 50,000 रुपये के बोनस के अलावा हमें कोई सैलरी नहीं मिली है.'
रूस-यूक्रेन की जंग शुरू हुए दो साल हो गए हैं. जानकारी के मुताबिक, लगभग 18 भारतीय रूस-यूक्रेन सीमा पर अभी भी फंसे हुए हैं. यह मामला तब सामने आया जब एक पीड़ित के परिवार के सदस्य, जो हैदराबाद से हैं, ने ओवैसी से संपर्क किया. पिछले महीने, हैदराबाद के सांसद ने जयशंकर और मॉस्को में भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी.
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