Jumma Break In Assam Assembly: अपने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और कई फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहने वाला असम एक बार सुर्खियों में आ गया है. शुक्रवार को असम विधानसभा ने नमाज के लिए दी जाने वाली ब्रेक की ब्रिटिश कालीन प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया. अब मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार को नमाज के लिए कोई विशेष ब्रेक नहीं मिलेगा. यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत डेमेरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया. जिसमें सभी विधायकों ने इस फैसले का समर्थन किया. इससे पहले भी सरकार ने कई इसी तरह के फैसले लिए हैं.
इससे पहले गुरुवार को असम विधानसभा में मुसलमानों के विवाह और तलाक के पंजीकरण के कानून के निरस्तीकरण के लिए विधेयक पारित हुआ था. राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने असम निरसन अध्यादेश 2024 को खत्म करने के लिए 22 अगस्त को पेश किया था. इससे पहले भी CM सरमा ने कई ऐसे फैसले लिए हैं.
इस फैसले के बाद CM ने ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा 'असम विधानसभा की उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के औपनिवेशिक बोझ को हटाने के लिए, प्रति शुक्रवार सदन को जुम्मे के लिए 2 घंटे तक स्थगित करने के नियम को रद्द किया गया. यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह ने शुरू की थी. भारत के प्राचीन धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कायम रखने के इस प्रयास के लिए असम विधानसभा के माननीय सभापति बिस्वजीत दैमारी और माननीय सदस्यों को मेरा आभार.'
बैठक के बाद भाजपा विधायक बिस्वजीत फुकन ने बताया कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है. उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल से ही असम विधानसभा में हर शुक्रवार को दोपहर 12 से 2 बजे तक का ब्रेक दिया जाता था. मुस्लिम विधायक नमाज अदा करते थे लेकिन अब इस प्रथा को समाप्त कर दिया गया है और अब कोई ब्रेक नहीं होगा.
यह भी ध्यान दिया गया कि लोकसभा, राज्यसभा और अन्य राज्यों की विधानसभाओं में नमाज के लिए ब्रेक का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए, असम विधानसभा के अध्यक्ष ने भी इस ब्रिटिश कालीन नियम को समाप्त करने का निर्णय लिया. अब विधानसभा का सत्र सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9:30 बजे से शुरू होगा, जबकि पहले शुक्रवार को यह 9 बजे से शुरू होता था ताकि नमाज के लिए ब्रेक दिया जा सके. First Updated : Friday, 30 August 2024