Himanta Biswa Sarma: असम का करीमगंज जिला अब श्रीभूमि के नाम से जाना जाएगा. मंगलवार को असम कैबिनेट में इस बाद का निर्णय लिया गया है. असम का करीमगंज जिला बांग्लादेश की सीमा सटा हुआ है. हिमंता बिस्वा सरमा ने इस बात की जानकारी एक्स पोस्ट के जरिए भी दी है.
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि 100 साल से भी पहले कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने असम के करीमगंज जिले को श्रीभूमि यानी मां लक्ष्मी की भूमि बताया था. लंबे समय से इस जिले का नाम श्रीभूमि करने की मांग की जा रही थी, जिसे आज असम कैबिनेट मंजूरी दे दी.
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की तरफ से करीमगंज जिले का नाम बदलकर श्रीभूमि करने का प्रस्ताव असम के ऐतिहासिक और भाषाई संदर्भ से जुड़ा हुआ है. उनका कहना है कि इस बदलाव का उद्देश्य उन स्थानों के नामों को बदलना है जिनका ऐतिहासिक या भाषाई महत्व कम होता है. उन्होंने उदाहरण के तौर पर ‘कालापहाड़’ और ‘करीमगंज’ जैसे स्थानों का उल्लेख किया, जिनका असमिया या बंगाली शब्दकोशों में कोई स्थान नहीं है. इसके बजाय, वे स्थानों के नाम ऐसे रखना चाहते हैं जो स्थानीय संस्कृति, भाषा और इतिहास से मेल खाते हों.
श्रीभूमि नाम का प्रस्ताव करते हुए उन्होंने प्रसिद्ध कवि रविंद्रनाथ टैगोर का हवाला दिया, जिन्होंने 1919 में सियालेट दौरे के दौरान इस क्षेत्र को ‘सुन्दरी श्रीभूमि’ कहा था. सियालेट (जो अब बांगलादेश का हिस्सा है) के संदर्भ में यह नाम ऐतिहासिक महत्व रखता है और असमिया तथा बंगाली दोनों भाषाओं में इसका सांस्कृतिक महत्व है.
इसके अलावा, सरमा ने संकेत दिया कि आने वाले समय में असम के अन्य जिलों और स्थानों के नाम भी उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के अनुरूप बदले जा सकते हैं. इसको लेकर सीएम हिमंता ने कहा कि प्रदेश में कई ऐसे स्थान हैं, जिनका नाम भारतीय संस्कृति के मुताबिक नहीं हैं. ऐसे में आने वाले समय में अन्य जगहों का भी नाम बदला जाएगा. First Updated : Tuesday, 19 November 2024