औरंगजेब, अकबर या हुमायूं? टीवी के 'राम' अरुण गोविल के अनुसार कौन है अच्छा शासक?
मेरठ से भाजपा सांसद और अपने टीवी सीरीज 'रामायण' के लिए देशभर में मशहूर अरुण गोविल से पूछा गया कि औरंगजेब, अकबर या हुमायूं? एक शो में जब पूछा गया कि हुमायूं, अकबर और औरंगजेब में से बेहतर शासक कौन था? उन्होंने इसका जवाब अकबर दिया. उन्होंने कहा कि इन तीनों में अकबर बेहतर शासक था. इसके अलावा उन्होंने कुछ अन्य सवालों के भी जवाब दिए. उन्हें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

समाजवादी पार्टी के सांसद अबू आज़मी के औरंगज़ेब वाले बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. अबू आज़मी ने कहा कि औरंगजेब क्रूर राजा नहीं था, वह एक अच्छा शासक था. आज़मी को उनके बयान के कारण पूरे सत्र के लिए सदन से निलंबित भी कर दिया गया था. अब मेरठ से भाजपा सांसद और अपने टीवी सीरीज 'रामायण' के लिए देशभर में मशहूर अरुण गोविल ने पूछा है कि औरंगजेब, अकबर या हुमायूं? इससे इस प्रश्न का उत्तर मिलता है कि इन तीनों में से बेहतर शासक कौन था. अरुण गोविल ने टीवी धारावाहिक 'रामायण' में राम की भूमिका निभाई थी. अरुण गोविल ने कहा है कि अकबर एक अच्छा शासक था.
एक शो में जब पूछा गया कि हुमायूं, अकबर और औरंगजेब में से बेहतर शासक कौन था? उन्होंने इसका जवाब अकबर दिया. उन्होंने कहा कि इन तीनों में अकबर बेहतर शासक था. इसके अलावा उन्होंने कुछ अन्य सवालों के भी जवाब दिए. उन्हें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और भारत रत्न से सम्मानित किया गया. मुझसे बाबासाहेब अम्बेडकर के विचारों के बारे में पूछा गया. इस पर अरुण गोविल ने कहा, 'दोनों की सोच का क्षेत्र अलग-अलग है.'
'तुलना करना उचित नहीं लगता'
आगे उन्होंने कहा कि "भारत के लिए, डॉ. अरुण गोविल ने कहा, "अगर आप बाबासाहेब अंबेडकर और किसी विशेष धर्म को मानने वालों के बारे में सोचते हैं, तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम लीजिए." अरुण गोविल ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी भारत के बारे में सोचते थे. "डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर सभी धर्मों पर विचार करते थे. उन्होंने कहा, ‘‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के बारे में सोचते थे.’’ “श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जितने ही महत्वपूर्ण हैं. अरुण गोविल ने कहा, "मेरे विचार से दोनों की तुलना करना सही नहीं है."
उसी समय चुनाव का विचार आया.
राजनीति में प्रवेश के बारे में उन्होंने कहा, "मेरी राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं थी." रामलला विराजमान के निधन के दिन ही उनके मन में चुनाव लड़ने का विचार कौंधा था. ''22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामचंद्र का जन्मोत्सव मनाया गया. वह उस समय अयोध्या में थे. "वहां रहते हुए मैंने सोचा, 'मैंने धार्मिक सेवा, आध्यात्मिक सेवा तो की है, लेकिन मैंने सार्वजनिक सेवा नहीं की है.'" अरुण गोविल ने बताया, "कुछ दिनों बाद मुझे टिकट मांगने के लिए फोन आया."