अयोध्या : राम मंदिर का निर्माण, इतिहास, महत्व और इससे जुड़े हर सवाल का यहां जानिए जवाब

भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा आगामी पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, विक्रम संवत 2080 कैलेंडर के अनुसार 22 जनवरी (सोमवार) को होगी. 22 जनवरी को गर्भगृह में राम लला के अभिषेक समारोह के बाद, मंदिर 23 जनवरी से भक्तों के लिए खुल जाएगा.

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अयोध्या के राम मंदिर में में कल यानी 22 जनवरी को राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा हो जाएगी. इसके लिए मंदिर में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. मंदिर के साथ ही अयोध्या शहर को भी सजाया गया है. इस अनुष्ठान में कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास सहित देश- दुनिया से अन्य गणमान्य हस्तियां यहां मौजूद होंगी. इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए मंदिर ट्रस्ट ने 7,000 से अधिक लोगों को आमंत्रण भेजा है. इनमें क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली, बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी शामिल हैं.

भक्तों के लिए कब खुलेगा राम मंदिर?

भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा आगामी पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, विक्रम संवत 2080 कैलेंडर के अनुसार 22 जनवरी (सोमवार) को होगी. 22 जनवरी को गर्भगृह में राम लला के अभिषेक समारोह के बाद, मंदिर 23 जनवरी से भक्तों के लिए खुल जाएगा.

सजकर तैयार है राम मंदिर.

 

राम मंदिर का संक्षिप्त अवलोकन

राम मंदिर ट्रस्ट के अधिकारी चंपत राय ने बताया था कि अयोध्या में बना यह राम मंदिर नागर शैली में बनाया गया है. राम मंदिर परिसर की लंबाई 380 फीट (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ाई और 161 फीट ऊंचाई होगी. मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे. मंदिर के निर्माण में कहीं भी लोहे और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. नागर शैली में बने मंदिरों की विशेषता उनके ऊंचे शिखर या जटिल नक्काशी और प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व होती हैं. मध्य प्रदेश के खजुराहो में बने शानदार मंदिर इसी शैली में बने हैं. 

राम मंदिर निर्माण यात्रा कैसे शुरू हुई

राम मंदिर के मूल डिजाइन की योजना 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा बनाई गई थी. हालांकि, वास्तु शास्त्र और शिल्प शास्त्र के अनुसार 2020 में इसमें कुछ बदलाव किर गए थे. सोमपुरा ने कम से कम 15 पीढ़ियों से दुनिया भर में 100 से अधिक मंदिरों के डिजाइन में योगदान दिया है, जिसमें सोमनाथ मंदिर भी शामिल है. 71 एकड़ में भू भाग में फैले कुल क्षेत्र में बना यह मंदिर छह भागों में विभाजित है, जिसमें गर्भगृह और पांच मंडप शामिल हैं, जिनमें गुण मंडप, रंग मंडप, नृत्य मंडप, कीर्तन मंडप, प्रार्थना मंडप हैं.

राम मंदिर निर्माण का विवरण

मंदिर की अधिरचना का निर्माण भरतपुर जिले के बंसी पहाड़पुर के नक्काशीदार राजस्थान बलुआ पत्थर का उपयोग करके की जा रही है. ट्रस्ट ने कहा कि बलुआ पत्थरों की नक्काशी और निर्माण का काम शुरू हो गया है और लगभग 1,200 कुशल कारीगर राजस्थान में खदानों और कार्यशालाओं के साथ-साथ श्री राम मंदिर कार्यस्थल पर काम में जुटे हुए हैं. पत्थरों की गुणवत्ता और नक्काशी की निगरानी बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स (एनआईआरएम), वास्तुकार सीबी सोमपुरा और कार्यान्वयन एजेंसियों लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (एलएंडटी) और टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स सहित एजेंसियों के विशेषज्ञों द्वारा की जा रही है.

फूले से सजा राम मंदिर का भीतरी भाग.

 

राम मंदिर निर्माण की प्रमुख विशेषताएं

तीन मंजिला मंदिर पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है, जिसकी प्रत्येक दीवार 20 फीट की है. मंदिर के निर्माण में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया. इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. इस परिसर में कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं. मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से होता है. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार सिंह द्वार होगा, जिसका निर्माण नागर शैली में राजस्थानी रेत गुलाबी पत्थर का उपयोग करके किया गया है.

मंदिर परिसर के अंदर हैं कई मंदिर

राम मंदिर परिसर के अंदर, महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या की समर्पित प्रस्तावित मंदिर हैं. परिसर के चारों कोनों पर, चार मंदिर हैं, जो सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को समर्पित हैं. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा का मंदिर है और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है.

राम मंदिर का इतिहास और विवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त को आधारशिला रखने के बाद 2020 में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था. मंदिर का निर्माण 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शुरू हुआ. वहीं मुसलमानों को संभावित मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक भूमि दी गई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि वह स्थान, जहां 1992 में उन्मादी दक्षिणपंथी भीड़ ने चार शताब्दी पुरानी बाबरी मस्जिद को नष्ट कर दिया था, वह हिंदू पक्ष का है. 

अयोध्या में राम मंदिर का महत्व

अयोध्या का राम मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है. इसे भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है और मंदिर के निर्माण को हिंदू समुदाय के लिए एक प्रतीकात्मक जीत के रूप में देखा जाता है, जो दशकों से मंदिर निर्माण के लिए लड़ रहे थे. मंदिर का उद्घाटन दुनिया भर के हिंदुओं के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि यह मंदिर के निर्माण के लिए दशकों से चले आ रहे आंदोलन की सफल परिणति के बाद एक मील का पत्थर है.

राम मंदिर के गर्भ गृह की तस्वीर.

 

प्राण प्रतिष्ठा में कौन आएगा? कौन नहीं

22 जनवरी को भव्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में विभिन्न दलों के कई नेता, फिल्म और टेलीविजन, उद्योग, खेल जगत की कई बड़ी हस्तियां आएंगी. इनमें पीएम मोदी, सीएम योगी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, लालकृष्ण आडवाणी, जेपी नड्डा और एकनाथ शिंदे शामिल हैं. इस सूची में बॉलीवुड मेगास्टार अमिताभ बच्चन, बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार, अभिनेत्री कंगना रनौत, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, क्रिकेटर विराट कोहली, योग गुरु रामदेव और उद्योगपति मुकेश अंबाई, रतन टाटा और गौतम अडानी भी शामिल हैं. ट्रस्ट ने प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक 'रामायण' में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल के साथ-साथ सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका चिखलिया को भी आमंत्रित किया है. अभिषेक समारोह के लिए लगभग 50 देशों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है.

ये नेता राम मंदिर में नहीं जाएंगे

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है. शरद पवार, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी और उद्धव ठाकरे सहित कई अन्य लोग भी अभिषेक कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.

राम मंदिर में प्रसाद की क्या व्यवस्था है

वाराणसी और गुजरात से हलवाईयों का एक समूह अयोध्या पहुंचा है क्योंकि वे भक्तों और उन सभी प्रतिभागियों के लिए मीठा प्रसाद तैयार करेंगे जो अगले सोमवार को ऐतिहासिक अभिषेक में शामिल होंगे. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए जाने-माने हलवाई 45 टन लड्डू तैयार करेंगे. समारोह के दिन शुद्ध देसी घी से तैयार लगभग 1200 किलोग्राम लड्डू भगवान राम को प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाएंगे. First Updated : Sunday, 21 January 2024

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