अयोध्यानामा : राम मंदिर विवाद 1885 में पहली बार पहुंचा था कोर्ट, जानिए तब से अब तक क्या-क्या हुआ
अयोध्यानामा : राम मंदिर विवाद 1885 में पहली बार पहुंचा था कोर्ट, जानिए तब से अब तक क्या-क्या हुआ
Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक राम मंदिर काफी हद तक बनकर तैयार हो चुका है. अगले महीने 22 जनवरी को 2024 को रामलला की मूर्ति की मंदिर के गर्वगृह में प्राण-प्रतिष्ठा का जाएगी. इस कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों के न्योता दिया गया है.
अयोध्या में करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक राम मंदिर काफी हद तक बनकर तैयार हो चुका है. अगले महीने 22 जनवरी को 2024 को रामलला की मूर्ति की मंदिर के गर्वगृह में प्राण-प्रतिष्ठा का जाएगी. इस कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों के न्योता दिया गया है. अयोध्या मंदिर को लेकर पांच सौ साल के संघर्ष और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है. आज हम आपको बाबरी मस्जिद- राम मंदिर विवाद से लेकर मंदिर निर्माण तक की यात्रा के बारे में बता रहे हैं.
अयोध्या का राम मंदिर किसने बनवाया
जानकारी के अनुसार ईशा के लगभग 100 साल पहले उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य एक दिन अयोध्या पहुंचे थे और उन्हें वहां पर कुछ चमत्कार दिखाई देने लगे. तब उन्होंने खोज को शुरू किया और वहां पर मौजूद साधु संतों की कृपा से उन्हें पता चला कि, यहां पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था और यहां पर उनका एक भव्य मंदिर भी है. इस प्रकार से संतों के आदेश पर सम्राट ने अयोध्या में भव्य मंदिर के साथ ही साथ सरोवर और महल का निर्माण करवाया.
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद कब सामने आया
राम मंदिर को लेकर लड़ाई 15वीं सदी से चल रही थी. 1528 में मुगल हमलावर बाबर के सेनापति मीर बकी ने राम मंदिर का ढांचा तोड़कर यहां बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था. इतिहास में ऐसे प्रमाण मिलते हैं. इसके बाद सन् 1885 में यह मामला पहली बार ब्रिटिश शासनकाल के दौरान अदालत में पहुंचा था. राम मंदिर मामले में 135 साल कानूनी लड़ाई चली.
राम जन्म पर क्या कहते हैं शोध
भगवान राम के जन्म को लेकर कई मान्यताएं हैं. कई लोग महर्षि वाल्मीकि की रामायण में बताए गए समय को ही भगवान राम का जन्म समय मानते हैं, लेकिन रामायण पर किए शोध के आधार यह बात सामने आई है कि राम का जन्म 5,114 ईसा पूर्व 10 जनवरी को दोपहर 12.05 मिनट पर हुआ था. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को हुआ था या फिर पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था. इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, बृहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था.
भगवान राम के जन्म पर क्या कहता है विज्ञान?
इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ऑन वेद (I-SERVE) के प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर के मुताबिक भगवान राम का जन्म अयोध्या में दस जनवरी 5,114 ईसा पूर्व को हुआ था. भारतीय कैलेंडर के मुताबिक भगवान राम के जन्म का समय दोपहर 12 से एक बजे के बीच में है.
15वीं सदी से लेकर अब तक राम मंदिर के संघर्ष की कहानी
1528: बाबर ने यहां एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार इसी जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ था.
1853: हिंदुओं का आरोप कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ. मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई.
1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी.
1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा. महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की.
23 दिसंबर 1949 : करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी. इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे. मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया.
16 जनवरी 1950: गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी.
5 दिसंबर 1950: महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया. मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया.
17 दिसंबर 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया.
18 दिसंबर 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया.
1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया.
1 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी. ताले दोबारा खोले गए. नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
जून 1989: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया.
1 जुलाई 1989: भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया.
9 नवंबर 1989: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी.
25 सितंबर 1990: बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए.
नवंबर 1990: आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया. बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया.
अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया.
6 दिसंबर 1992: हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया. इसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए. जल्दबाजी में एक अस्थायी राम मंदिर बनाया गया.
16 दिसंबर 1992: मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया.
जनवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था.
अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की.
मार्च-अगस्त 2003: इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं. मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे.
सितंबर 2003: एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए.
जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी.
28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया.
30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी.
9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.
जुलाई 2016: बाबरी मामले के सबसे उम्रदराज वादी हाशिम अंसारी का निधन.
21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही.
19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया.
8 फरवरी, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों पर सुनवाई शुरू की.
2019: सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया.
6 अगस्त, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना मामले की सुनवाई शुरू की.
16 अक्तूबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा.
9 नवंबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा: विवादित भूमि पर बनेगा मंदिर, मुस्लिम पक्ष को कहीं और मिलेगी जमीन.