अयोध्यानामा : भगवान राम के वंश का नाम इक्क्षवाकु कैसे पड़ा क्या है इसके पीछे की कहानी

राम की नगरी अयोध्या को सजाया जा रहा है. आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. पीएम मोदी समेत इन दिन दुनिया भर से बड़ी हस्तियां यहां पहुंचने वाली हैं. लेकिन आज हम प्रभु श्रीराम के वंश के बारे में आपको बताएंगे.

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राम की नगरी अयोध्या को सजाया जा रहा है. आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. पीएम मोदी समेत इन दिन दुनिया भर से बड़ी हस्तियां यहां पहुंचने वाली हैं. लेकिन आज हम प्रभु श्रीराम के वंश के बारे में आपको बताएंगे. तो क्या आपको मालूम है कि श्री राम जिस इक्ष्वाकु वंश से ताल्लुक रखते थे, उस वंश की शुरुआत कैसे हुई? इस वंश के पहले राजा कौन थे?  इक्ष्वाकु प्राचीन भारत के इक्ष्वाकु वंश के पहले राजा थे. ‘इक्ष्वाकु’ शब्द ‘इक्षु’ से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ ‘ईख’ होता है. माना जाता है कि ईख पैदा करने वाली धरती पर इस वंश की शुरुआत हुई, लिहाजा इसे इक्ष्वाकु कहा जाने लगा.

मनु की उत्पत्ति कैसे हुई? 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इक्ष्वाकु मनु के पुत्र थे. कश्यप और आदिति से विवश्वान पैदा हुए और फिर उनके पुत्र के रूप में मनु का जन्म हुआ. मनु और श्रृद्धा की 10 संतानें थीं, जिसमें एक इक्ष्वाकु थे.

इक्ष्वाकु ने बसाई अयोध्या 

आगे चलकर इक्ष्वाकु राजा बने. उन्हें महात्मा और तपस्वी महाराज कहा गया. इक्ष्वाकु के बाद उनके राजवंश के सम्राटों को सूर्यवंशी भी कहा गया. इक्ष्वाकु कोसल राज्य के महाराजा थे. इस राज्य की राजधानी अयोध्या थी. ऐसा कहा जाता है कि उनके 100 पुत्र थे. इक्ष्वाकु के एक दूसरे पुत्र निमि ने मिथिला राजकुल स्थापित किया था. 

किन ग्रंथों में इनका नाम मिलता है 

प्राचीन ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व के नौंवें अध्याय में महाराज इक्ष्वाकु का नाम आता है. ऋगवेद में भी उनका नाम आया है. चूंकि इस राजवंश से निकले वशंज देशभर में फैल गए, लिहाजा इनका रिश्ता देश के कई राजवंशों से लिया जाता है. दक्षिण भारत का “आंध्र इक्ष्वाकु राजवंश” (300-400 ई.) भी अपने राजवंश को महाराजा इक्ष्वाकु से संयोजित करता था.

इस वंश को रघुवंश भी कहा जाता है 

इक्ष्वाकु वंश को रघुवंश भी कहा जाता है जिसके वंशज रघुवंशी हैं जो मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान में मुख्यतौर पर पाए जाते हैं. इक्ष्वाकु वंश के राजा पृथु, मांधाता, दिलीप, सगर, भगीरथ, रघु, हरिश्चंद्र जैसे प्रतापी लोग हुए हैं. विष्णु पुराण में कहा गया है कि जब मनु को छींक आई तो इक्ष्वाकु उनकी नासिका से निकले. उनके 100 पुत्र थे, जिनमें से तीन सबसे प्रतिष्ठित थे विकुक्षि, निमि और दण्ड. उनके पचास बेटे उत्तरी देशों के राजा थे, जबकि उनमें 48 दक्षिण के राजकुमार थे.

राम 81वें वंशज

दशरथ उनके 80वीं पीढ़ी में पैदा हुए थे तो राम 81वें वंशज थे. उत्तर भारत के तमाम हिस्सों में जैसे कोशल, कपिलवस्तु, वैशाली और मिथिला आदि में अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश के शासकों ने ही राज्य कायम किए थे. जहां तक मनु द्वारा स्थापित अयोध्या का प्रश्न है, हमें वाल्मीकि कृत रामायण के बालकाण्ड में उल्लेख मिलता है कि वह 12 योजन-लम्बी और 3 योजन चौड़ी थी. First Updated : Tuesday, 02 January 2024

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