अयोध्यानामा : राम मंदिर कैसे बना राष्ट्रीय मुद्दा? जिसने भाजपा को दी सियासी ताकत
राम मंदिर के मुद्दे पर करोड़ों हिंदुओं की आस्था है यह बात बीजेपी समझ चुकी थी. इसके बाद 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ मंदिर में पूजा कर लालकृष्ण आडवाणी ने अपने सहयोगियों के साथ रथ यात्रा शुरू की. इस रथ यात्रा का मकसद राम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाना था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ ने 07 नवंबर, 1989 को बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मामले में टिप्पणी करते हुआ कहा कि इसमें संदेह है कि मुकदमें में शामिल कुछ मुद्दे न्यायिक प्रक्रिया से हल हो सकते है. इसके पहले फैजाबाद कोर्ट ने विवादित मस्जिद का ताला खोलकर उसके अंदर रखी मूर्तियों की निर्बाध पूजा अर्चना की सुविधा पहले ही दे दी थी. इस दौरान टेलीविजन पर इस मामले का लगातार प्रसारण किया जा रहा था, जिसके चलते यह मुद्दा पूरे देश की नजर में आ गया था. करोड़ों हिंदुओं और मुस्लिमों की आस्था इस मुद्दे से सीधे- सीधे जुड़ी थी, इसलिए लोगों ने चौक-चौराहों में इसकी चर्चा करनी शुरू कर दी. इसके बाद देश में इस मुद्दों को लेकर बैठक-विमर्श होने लगा. इसके बाद इस मामले में केस हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक केस चलने लगे. इस तरह से लोग इस मुद्दे से जुड़ते गए.
राम मंदिर ऐसे बना राष्ट्रीय मुद्दा
राम मंदिर के मुद्दे पर करोड़ों हिंदुओं की आस्था है यह बात बीजेपी समझ चुकी थी. इसके बाद 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ मंदिर में पूजा कर लालकृष्ण आडवाणी ने अपने सहयोगियों के साथ रथ यात्रा शुरू की. इस रथ यात्रा का मकसद राम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाना था, जिसे सोमनाथ मंदिर से राम जन्मभूमि तक जाना था. यह रथ यात्रा 8 राज्यों के साथ-साथ उस समय की केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली से गुजरने वाली थी. तय योजना के मुताबिक 25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू होकर यात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या में खत्म होनी थी.
आडवाणी की रथयात्रा ने बदला देश का सियासी माहौल
आडवाणी की रथयात्रा ने देश के सियासी माहौल को बदल कर रख दिया था. इसकी धमक दिल्ली तक सुनी जा रही थी. उस समय जिन्होंने इस रथ यात्रा की रिपोर्टिंग की थी उनके मुताबिक रथयात्रा को जन समर्थन भरपूर मिल रहा था. आडवाणी की रथ यात्रा को 23 अक्टूबर 1990 को बिहार से समस्तीपुर में रोक लिया गया. इसी दिन आडवाणी और प्रमोद महाजन को गिरफ्तार कर लिया गया. तब बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हुआ करते थे. इस गिरफ्तारी को लालू अपनी उपलब्धि के तौर पर भी गिनाते हैं. इस गिरफ्तारी के बाद से हिंदुओं में राम मंदिर को लेकर भावना और अधिक बढ़ गई. इस तरह से राम मंदिर भारत में एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया और इसका राजनीतिक दलों को लाभ और नुकसान दोनों हुआ.
हिंदू पक्ष का क्या तर्क था
हिंदू पक्ष का कहना है कि भगवान राम यहीं पैदा हुए थे ऐसे में यह जगह उनकी आस्था का विषय है. इसमें कोई समझौता नहीं हो सकता. 22-23 दिसंबर 1949 को प्रशासन के सहयोग से यहां भगवान राम की मूर्ति रख दी गईं, जिसमें हिंदुओं ने पूजा करनी शुरू कर दी. इसके बाद भी इस मामले को लेकर कोर्ट में केस चलता रहा. वहीं मुस्लिमों ने यहां पर नमाज पढ़नी बंद कर दी.
बाबरी विध्वंस के बाद देश में हुए दंगे
6 दिसंबर 1992 को एक ऐतिहासिक घटना घटी. देशभर से जुटे लाखों की संख्या में कार सेवक अयोध्या पहुंच गए और बाबरी मस्जिद के गुंबद को ध्वस्त कर दिया. इस घटना के बाद देश में तनाव का महौल हो गया. कई राज्यों और शहरों में हिंदू- मुस्लिमों के बीच दंगे हुए. इस घटना ने राम मंदिर के मामले को देश व्यापी नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया.