अयोध्यानामा : 1858 में बाबरी मस्जिद में सबसे पहले निहंग सिखों ने किया था हवन, उनके वंशज यहां उद्घाटन पर चलाएंगे लंगर

अयोध्या की बाबरी मस्जिद में 1858 में नवंबर महीने में निहंग सिखों ने सबसे पहले घुसकर राम लला के चिह्वित जन्म स्थल पर घुसकर पूजा-पाठ और हवन किया था. अब निहंग सिखों के वंशज अब राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर यहां लंगर चलाएंगे.

calender

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं. इस बीच राम मंदिर की कड़ी निहंग सिखों से जुड़ी नजर आती है. अयोध्या से जुड़ी इस 165 साल पुरानी कहानी से पता चलता है कि सिर्फ हिंदु ही नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोग भी श्रीराम की प्रतिष्ठा पर आंच ना आने के लिए चिंता करते थे. 

सिखों ने सबसे पहले बाबरी मस्जिद में घुसकर किया था हवन

जानकार बताते हैं कि सिखों के इतिहास को खगालने पर पता चलता है कि अयोध्या (Ayodhya) में सबसे पहले बाबरी मस्जिद में विद्रोहियों के घुसने की जो घटना घटी थी वो हिंदुओं के द्वारा नहीं घटी थी बल्कि सिखों ने की थीं. श्रीराम जन्म स्थान के करीब ही अयोध्या में एक गुरुद्वारा है, जिसका नाम है गुरुद्वारा ब्रह्म कुंड. इसी गुरुद्वारे में सिखों के गुरु, गुरु गोबिंद सिंह यहां आकर ठहरे थे. यह घटना आज से 165 साल पहले की है. इतिहास के उस काल में निहंग सिखों (Nihang Sikh) ने बाबरी मस्जिद में घुसकर जगह-जगह पर श्रीराम का नाम लिखा था और यह साबित करने की कोशिश की थी कि यह श्रीराम के जन्म का स्थान है. इसके बारे में ना सिर्फ सिख ग्रंथों में जिक्र है बल्कि इतिहासकार भी इस बारे में जानकारी देते हैं. 

अयोध्या की बाबरी मस्जिद में 1858 में नवंबर महीने में निहंग सिखों ने सबसे पहले घुसकर राम लला के चिह्वित जन्म स्थल पर घुसकर पूजा-पाठ और हवन किया था. अब निहंग सिखों के वंशज अब राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर यहां लंगर चलाएंगे. निहंग सिखों की आठवीं पीढ़ी के बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि वह अयोध्या में लंगर लगाकर भगवान राम के प्रति अपने पूर्वजों की भक्ति को आगे बढ़ाएंगे.

22 जनवरी को होनी है प्राण- प्रतिष्ठा

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि ‘अब जब 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है, तो मैं कैसे पीछे रह सकता हूं.’ उन्होंने कहा कि वह निहंग सिखों के साथ 22 जनवरी को अयोध्या में लंगर चलाएंगे और देश-विदेश से आने वाले भक्तों की सेवा करेंगे. दस्तावेजों के मुताबिक, नवंबर 1858 में निहंग बाबा फकीर सिंह खालसा के नेतृत्व में 25 निहंग सिख अयोध्या में बाबरी मस्जिद में घुस गए थे और उसमें हवन किया था. 

इसके अलावा निहंगों ने मस्जिद की दीवारों पर ‘राम-राम’ भी लिख दिया था और भगवा झंडा फहरा दिया था. इसके बाद बाबरी मस्जिद के मुअज्जिन की शिकायत के बाद 30 नवंबर, 1858 को अवध पुलिस स्टेशन के तत्कालीन प्रभारी ने 25 निहंग सिखों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. 

इस पर क्या कहते हैं इतिहासरकार

इतिहासरकार रवि भट्ट के अनुसार, एक सिख निहंग थे बाबा फकीर सिंह जी जो अपने साथियों के साथ राम मंदिर चले आते हैं और दीवारों पर राम-राम लिख देते हैं. इसके अलावा, एक प्लेटफॉर्म बना देते हैं, जिसके ऊपर भगवान राम की मूर्ति वहां रख दी जाती है. इस बात की पुष्टि होती है. 28 नवंबर 1958 में जब वहां के थानेदार ने एफआईआर लिखी थी. इस तरह सिखों ने आज से 150-200 साल पहले विद्रोह कर दिया था ताकि राम मंदिर बन सके. कहा जा सकता है कि उस समय यह आंदोलन ना हुआ होता तो राम मंदिर ना बन रहा होता. राम जन्भूमि पर उस समय बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा था जिसे साल 1992 में तोड़ा गया था. 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसला में किया निहंग सिखों का जिक्र

इस घटना ने 9 नवंबर, 2019 को सबका ध्यान अपनी ओर खींचा, जब सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के आधार पर मंदिर के पक्ष में अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 1858 में घटी इस घटना का भी जिक्र किया था. निहंग बाबा फकीर सिंह खालसा के परिवार के आठवें वंशज जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में नवंबर 1858 में अवध के थानेदार शीतल दुबे की रिपोर्ट का हवाला दिया गया था.

बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि मेरा किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है और मैं केवल सनातन परंपराओं का वाहक हूं. निहंगों और सनातन धर्म के बीच सद्भाव बनाए रखने के दौरान मुझे आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि एक तरफ मैं अमृतधारी सिख हूं, लेकिन दूसरी तरफ मैं अपने गले में रुद्राक्ष की माला पहनता हूं. First Updated : Sunday, 31 December 2023