अयोध्यानामा : अयोध्या नगरी को किसने बसाया यहां पहली बार किसने बनवाया था राम मंदिर

History of Ayodhya : अयोध्या नगरी का जिक्र रामायण में मिलता है. रामायण के मुताबिक अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी. अयोध्या हिंदुओं के 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. जिसमें अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवंतिका और द्वारका शामिल हैं. भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या की पहचान देश के प्राचीन शहरों में होती है.

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History of Ayodhya : अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को राम लाल की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है, जिसको लेकर अयोध्या नगरी चर्चा में है. इस अनुष्ठान के लिए 4000 साधु-संतों और धर्माचार्यों के साथ 2.5 हजार अन्य विशिष्ट व्यक्तियों को राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा न्योता दिया गया है. अयोध्या नगरी आज पहली बार चर्चा में नहीं है राम मंदिर को लेकर यह हमेशा से चर्चा में रही है. ऐसे में आज हम आयोध्या के इतिहास के बारे में जानेंगे. यह जानने का प्रयास करेंगे कि अयोध्या नगरी को आखिर किसाने बसाया था. 

क्या है अयोध्या का इतिहास?

अयोध्या नगरी का जिक्र रामायण में मिलता है. रामायण के मुताबिक अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी. अयोध्या हिंदुओं के 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. जिसमें अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवंतिका और द्वारका शामिल हैं. भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या की पहचान देश के प्राचीन शहरों में होती है, जिसे कभी साकेत के नाम से जाना जाता था. अयोध्या प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था, जिसकी राजधानी साकेत (अयोध्या) थी. प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी अयोध्या का जिक्र मिलता है, जिनके अनुसार अयोध्या की स्थापना 2200 ई.पू. के आसपास हुई. गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस मानस में भगवान राम की जन्म स्थली के रूप में अयोध्या का उल्लेख किया गया है. हिंदुओं का पवित्र तीर्थस्थल अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है.

'साकेत' था अयोध्या का पुराना नाम

अयोध्या जिले की वेबसाइट पर मिली जानकारी के अनुसार, अयोध्या का पुराना नाम साकेत था. त्रेता युग में यह नगर कोसल राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिसकी वजह से कई लोग इसे कोसल भी कहते थे. इसके अलावा अयोध्या को अयुद्धा के नाम से भी जाना जाता है. 

अयोध्या को किसने बसाया 

अयोध्या के उद्गम का संबंध ब्रह्माजी के मानस पुत्र मनु से है. सतयुग में अयोध्या को वैवस्वत मनु ने बसाया था. इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध वैवस्वत मनु के 10 पुत्र थे, जिसमें इक्ष्वाकु कुल का सबसे ज्यादा विस्तार हुआ. इक्ष्वाकु कुल में आगे चलकर प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ.

ह्वेन सांग ने अयोध्या को किस नाम से संबोधित किया

सातवीं सदी के चीनी यात्री ह्वेन सांग ने अयोध्या को 'पिकोसिया' के नाम से संबोधित किया. उसके अनुसार इसकी परिधि 16ली (एक चीनी 'ली' बराबर है 1/6 मील के) थी. आईन-ए-अकबरी में इस नगर की लंबाई 148 कोस तथा चौड़ाई 32 कोस उल्लिखित है. त्रेतायुगीन रामचंद्र से लेकर द्वापरकालीन महाभारत और उसके बहुत बाद तक हमें अयोध्या के सूर्यवंशी इक्ष्वाकुओं के उल्लेख मिलते हैं. इस वंश का बृहद्रथ, अभिमन्यु के हाथों 'महाभारत' के युद्ध में मारा गया था. फिर भगवान राम के पुत्र लव ने श्रावस्ती बसाई और इसका स्वतंत्र उल्लेख अगले 800 वर्षों तक मिलता है.

राजा विक्रमादित्य ने कराया राम मंदिर का निर्माण

पौराणिक मान्यताएं हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने कराया था. राजा विक्रमादित्य अयोध्या में आखेट (शिकार) करने के लिए आए थे तब उन्हें इस भूमि पर कुछ चमत्कार दिखा. इसके बाद राजा ने खोज कराई तो पता चला कि ये भगवान राम की जन्मभूमि है. इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने यहां राम मंदिर का निर्माण कराया. 

 
14वीं शताब्दी में बाबरी मस्जिद बनी 

14वीं शताब्दी में जब भारत में मुगलों का शासन हुआ तो राम मंदिर को नष्ट कर दिया गया. 1525 में बाबर के सेनापति मीर बांकी ने राम मंदिर को ध्वस्त करके उसकी जगह में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया. 

राम मंदिर के पक्ष में फैसला

अयोध्या की भूमि पर राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर सालों विवाद चला, जिसके बाद 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. फैसले के 5 साल के बाद राम लला का भव्य मंदिर बनकर तैयार है, जिस पर 22 जनवरी 2024 को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.


अयोध्या से जुड़ी कुछ रोचक बातें यहां पढ़िए...

– अयोध्या भगवान श्रीराम का जन्म स्थान है. शोध में पता चलता है कि राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे और इसके पर्याप्त प्रमाण हैं. शोध के अनुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था.

– भगवान श्रीराम के बाद बाद लव ने श्रावस्ती बसाई और इसका स्वतंत्र उल्लेख अगले 800 वर्षों तक मिलता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था. इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा.

– महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़-सी गई लेकिन उस दौर में भी श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित रहा और लगभग 14वीं सदी तक बरकरार रहा.

– तथ्यों के मुताबिक, बाबर के आदेश पर सन् 1527-28 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बना दी गई. कालांतर में बाबरी के नाम पर ही इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद पड़ा था. First Updated : Thursday, 28 December 2023

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