Ayodhyanama : अयोध्या के मौजूदा राजा कौन हैं? जो आज भी राजसी ठाठबाट से रहते हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के मौजूदा राजा को राम मंदिर निर्माण और देखरेख के लिए श्री रामजन्म भूमि तीर्थ का ट्रस्टी बनाया है. इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्यों को शामिल किया गया है. इनमें एक ट्रस्टी अयोध्या राजवंश से हैं.
अयोध्या के राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य समारोह जारी है. 22 जनवरी के अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देश और दुनिया की तमाम बड़ी हस्तियां यहां आएंगी. समारोह में अयोध्या के मौजूदा राजा भी शामिल होंगे. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस समय अयोध्या का राजा कौन है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के मौजूदा राजा को राम मंदिर निर्माण और देखरेख के लिए श्री रामजन्म भूमि तीर्थ का ट्रस्टी बनाया है. इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्यों को शामिल किया गया है. इनमें एक ट्रस्टी अयोध्या राजवंश से हैं. इन्हें अयोध्या के लोग आज भी 'राजा साहब' कहते हैं. रामनगरी के मौजूदा राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र अयोध्या रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी हैं.
राजा साहब का रामलला से पुराना रिश्ता है. एक जमाने में इस राजवंश के सदस्य अयोध्या की पूरी व्यवस्था चलाते थे. हालांकि बाद में यह परंपरा खत्म हो गई. इसके बाद पीएम मोदी ने उन्हें राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी सौंप दी. बताया जाता है कि विवादित ढांचा विध्वंस के बाद रामलला की प्रतिमा विमलेंद्र प्रताप मिश्र ने अपने घर से भेजवाई थी.
अयोध्या राजवंश के राजा की क्या है कहानी?
अयोध्या राजवंश के राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुड़ी कड़ी में स्वर्गीय महारानी विमला देवी के दो बेटे विमलेंद्र प्रताप मिश्र और शैलेंद्र प्रताप मिश्र हैं. विमलेंद्र प्रताप मिश्र को बड़े होने के कारण राजवंश का प्रतिनिधि मानकर अयोध्या का राजा मान लिया गया. विमलेंद्र प्रताप मिश्र डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित रहे हैं. वह उत्तर प्रदेश की हेरिटेज योजना की कार्यकारिणी के सदस्य चुने जा चुके हैं.
2009 में लड़ चुके हैं लोकसभा का चुनाव
राजा साहब यानी विमलेंद्र प्रताप मिश्र लोकसभा चुनाव 2009 में फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे, हालांकि उनको कांग्रेस के निर्मल खत्री से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली थी. एक दौर में अयोध्या का ये राजपरिवार कांग्रेस का करीबी माना जाता था. विमलेंद्र प्रताप मिश्र अयोध्या राजवंश में कई पीढ़ियों के बाद जन्म लेने वाले पुरुष उत्तराधिकारी थे.
विमलेंद्र प्रताप मिश्र से पहले तक गोद लिए हुए बेटों से ही राजवंश की विरासत चलती थी. इसी के चलते विमलेंद्र प्रताप मिश्र का बचपन कड़ी सुरक्षा में गुजरा है. महारानी विमला देवी ने उन्हें बाहर पढ़ाने के बजाय स्थानीय स्कूल में भेजा. उन्हें 14 साल की उम्र तक अपनी उम्र के लड़कों के साथ खेलने नहीं दिया गया. जब वह बसपा से चुनाव लड़े तो उनकी मां विमला देवी इसके खिलाफ थीं.
विमलेंद्र मिश्रा के छोटे भाई क्या करते हैं?
विमलेंद्र मिश्रा के छोटे भाई शैलेंद्र प्रताप मिश्र अयोध्या के साकेत महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष हैं. विमलेंद्र प्रताप मिश्र के बेटे यतींद्र प्रताप सहित्यकार हैं. वह विविध भारती में अपनी सेवा दे चुके हैं. अभी विमलेंद्र मिश्र मां विमला देवी के नाम से समाजसेवी संस्था 'विमला देवी फाउंडेशन न्यास' चलाते हैं. संस्था राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य, संगीत, कला के लिए काम करती है.
राम मंदिर आंदोलन के समय तत्कालीन मंत्री पीआर कुमार मंगलम राजा विमलेंद्र प्रताप मिश्र के संपर्क में थे. विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद रामलला की प्रतिमा विमलेंद्र प्रताप सिंह के घर से ही पहुंचाई गई थी. इससे पहले तक रामलला की प्रतिमा उनके घर में बने अस्थायी मंदिर में विराजमान थी. राम मंदिर में मूर्ति पहुंचने के बाद तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था.
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट की घोषणा की. इसी के साथ केंद्र सरकार ने अपने कब्जे की 67.703 एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को सौंप दी. बतौर ट्रस्टी विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा ने केंद्र सरकार से जमीन का मालिकाना हक हासिल किया. इसके दस्तावेज कमिश्नर ने उन्हें सौंपे थे.