Ayodhyanama : आखिर अयोध्या को धर्म नगरी क्यों कहा जाता है? यहां जानें पूरी कहानी
Ayodhyanama : स्कंद पुराण के अनुसार जिस प्रकार बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर टिकी है. उसी तरह अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली विष्णु जी की सुदर्शन चक्र पर बसी है. जिसको लेकर एक पौराणिक कथा भी है. एक बार मनु ब्रह्मा जी के पास एक नगर के निर्माण की योजना को लेकर भी पहुंचे थे.
Ayodhyanama: अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को भगवान राम की मू्र्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होने वाली है. ऐसे में अयोध्या चर्चा में है. इसी क्रम में हम आपको अयोध्यानामा सीरीज में अयोध्या नगरील राम मंदिर, मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित मुद्दों पर रोचक जानकारी देते हैं. आयोध्या को धर्म नगरी क्यों कहा जाता है आज हम आपको इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं. अयोध्य़ा नगरी प्रभु राम की सप्तपूरियों में एक है. इस नगरी से कई विशेष धार्मिक महत्व जुड़े हैं.
अथर्ववेद में अयोध्या के बारे में क्या लिखा है?
अथर्ववेद में धर्म नगरी अयोध्या को देवताओं का स्वर्ग बताया गया है. स्कंद पुराण में सरयू तट पर बसी प्रभु राम की नगरी अयोध्या को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पवित्र स्थल कहा गया है. बाल्मिकी रामायण के मुताबिक अयोध्या को पवित्र नगरी बताया गया है. प्रभु राम की नगरी अयोध्या के धार्मिक दृष्टिकोण को लेकर धार्मिक ग्रंथो में कथा खूब प्रचलित है.
विक्रमादित्य ने कराया था मंदिर का निर्माण
कहानी के अनुसार अयोध्या के महाराज विक्रमादित्य ने एक बार भ्रमण करते हुए सरयू नदी के पास पहुंचे. वहां पर उनको अयोध्या की भूमि पर कुछ चमत्कार दिखाई दिया. इसके बाद महाराज विक्रमादित्य ने आसपास के संतों को बुलाकर चमत्कार के बारे में चर्चा की तो संतों ने अवध की भूमि के धार्मिक महत्व के बारे में उनको बताया. इसके बाद विक्रमादित्य ने अयोध्या के मठ मंदिरों का कायाकल्प कराया. इतना ही नहीं भगवान राम की नगरी अयोध्या को प्रभु की जन्मस्थली के साथ-साथ साकेत नगरी के नाम से भी जाना जाता था. अयोध्या हिंदू धर्म के साथ ही बौद्ध और जैन धर्म की पवित्र नगरी मानी जाती है.
श्रीराम की जन्म भूमि है अयोध्या
स्कंद पुराण के अनुसार जिस प्रकार बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर टिकी है. उसी तरह अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली विष्णु जी की सुदर्शन चक्र पर बसी है. जिसको लेकर एक पौराणिक कथा भी है. एक बार मनु ब्रह्मा जी के पास एक नगर के निर्माण की योजना को लेकर भी पहुंचे थे. तब ब्रह्मा जी ने मनु को भगवान विष्णु के पास भेजा था. भगवान विष्णु ने मनु के लिए साकेत धाम का चयन किया था. साकेत धाम के निर्माण के लिए ब्रह्मा जी मनु भगवान, विष्णु शिल्पकार, भगवान विश्वकर्मा और महर्षि वरिष्ठ गए. इसके बाद भूमि का चयन सरयू नदी के किनारे पर किया गया और यहीं से शुरू हुआ एक नगर का निर्माण, जिसे आज अयोध्या नगरी के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं भगवान राम के जन्म के समय इस नगर को अवध के नाम से भी जाना जाता था.
महाकाव्य में अयोध्या
बाल्मीकि रामायण के पांचवें स्वर्ग के बालकांड में अयोध्या का वर्णन किया गया है. इसमें कहा गया है कि अयोध्या 12 योजन लंबी और तीन योजन चौड़ी थी. अयोध्या नगरी मठ मंदिर और घाटों की प्रसिद्ध नगरी भी है. सरयू नदी के किनारे प्रमुख 14 घाट स्थित हैं. जिसमें गुप्तार घाट के कई घाट कौशल्या घाट इत्यादि घाट आज भी स्थित है और धर्मनगर अयोध्या में प्रभु राम का जन्म हुआ इसलिए इसे राम जन्मभूमि भी कहा जाता है.
अयोध्या में कई महात्माओं, योद्धा, ऋषि मुनि और अवतारी पुरुष भी जन्में हैं. जैन धर्म के अनुसार अयोध्या में ही आदिनाथ समेत पांच तीर्थंकरों का भी जन्म हुआ था. कहा जाता है कि भगवान श्री राम जब अपने धाम को जाने लगे उसके बाद अयोध्या नगरी उजड़ सी गई थी, लेकिन उनके पुत्र उसने अयोध्या को एक बार फिर से बसाया था.
अयोध्या के कण-कण में राम
जगद्गुरु राम दिनेशाआचार्य के अनुसार प्रभु राम धर्म का विग्रह है. भगवान श्री राम अयोध्या में जन्म लेते हैं, जहां भगवान खुद ही जन्म लें उस नगरी को ही धार्मिक नगरी माना जाता है. इतना ही नहीं अयोध्या में कई ऐतिहासिक मठ-मंदिर रामायण कालीन चीजों से जुड़े सप्तपूरियों में एक प्रभु राम की नगरी अयोध्या का भी नाम धार्मिक ग्रंथो में आता है. यही वजह है कि अयोध्या को धार्मिक नगरी के तौर पर जाना जाता है. अयोध्या की कई खासियत हैं. जैसे- जिसको कभी जीता न जा सके, जहां कभी युद्ध ना हुआ हो. अयोध्या में कई कुंड और सरोवर हैं. जहां साक्षात परमात्मा ने जन्म ले लिया हो उस धरती का बखान शब्दों से नहीं किया जा सकता है.