अयोध्या समेत पूरा देश इन दिनों राम आएंगे की धुन पर नाच रहा है. राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर अनुष्ठान शुरू हो चुका है. देश और दुनिया में इन दिनों अयोध्या चर्चा में है. 1990 के दशक में भी अयोध्या सुर्खियों में था. तब और आज में काफी बदलाव आ गया है, लेकिन आज भी एक चीज यथावत हैं, और वह है अयोध्या का इतिहास.
अयोध्या में राम मंदिर अब हकीकत बन चुका है, लेकिन इतिहास के पन्नों को उलटने पर पता चलता है कि यह आंदोलन कई कहानियों, किस्सों, बयानों और दंगों से भरा पड़ा है.कभी राम मंदिर आंदोलन के हीरो रहे अब हाशिए पर हैं. आज हम राम मंदिर आंदोलन के एक बड़े चेहरे विनय कटियार के बारे में आपको बता रहे हैं. जो आज भी मौजूद हैं, लेकिन उनको मंदिर के कायक्रमों में थोड़ी भी महत्व नहीं मिल रहा जितने के वो हकदार थे.
आइए अब कहानी की शुरुआत करते हैं. अयोध्या कांड में विनय कटियार की एंट्री साल 1984 में होती है. विनय कटियार उस वक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक सदस्य थे. साल 1984 में संघ और विश्व हिंदू परिषद ने बजरंग दल की स्थापना की थी. इसके बाद विनय कटियार को बजरंग दल का पहला अध्यक्ष बनाया गया.
1984 में कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में थी और उस वक्त तक RSS पर 2 बार बैन लग चुका था. ऐसे में संघ उन कामों में शामिल होने से बच रहा था, जिससे बैन लगने का खतरा बढ़ जाए, लेकिन हिंदुत्व के मुद्दे को आगे भी बढ़ाना था. बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष विनय कटियार ने एक इंटरव्यू में कहा था, संगठन की स्थापना का मुख्य उद्धेश्य मठ-मंदिरों से कब्जे को हटवाना है. कटियार के मुताबिक बजरंग दल ने शुरुआत में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले पर फोकस किया. इसके बाद विनय कटियार के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन को धार देना शुरू किया गया. 1986 आते-आते अयोध्या के आसपास बजरंग दल की तूती बोलने लगी. उन दिनों अखबारों में हर दिन विनय कटियार की खबरें छपने लगीं और देखते-ही-देखते कटियार अयोध्या कांड के फायरब्रांड नेता बन गए.
विनय कटियार राम मंदिर आंदोलन में जुड़ने से पहले हिंदू जागरण मंच के तले भारत में मंदिर और मठों पर से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाते थे. साल 1984 में कानपुर के फूलबाग में कटियार ने राम मंदिर को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में संघ के नेता अशोक सिंघल को भी न्योता दिया गया था. इसी कार्यक्रम में धर्मस्थान मुक्त समिति का भी गठन किया गया. यह कार्यक्रम सफलता रहा तो सिंघल ने कटियार को राम मंदिर पर फोकस करने के लिए कहा. अब क्या था कुछ महीने बाद ही कटियार को बजरंग दल की कमान मिल गई.
साल 1989 में राम मंदिर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने संयुक्त रूप से शिलान्यास कार्यक्रम चलाने की घोषणा की. उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री और एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. शिलान्यास कार्यक्रम का बवाल बढ़ता देख राजीव गांधी ने गृहमंत्री बूटा सिंह को समझौते के लिए अयोध्या भेजा. बूटा सिंह के साथ यूपी के सीएम एनडी तिवारी भी मौजूद थे. बैठक अयोध्या में एक बंद कमरे में आयोजित की गई.
हिंदू पक्ष से अशोक सिंघल और विनय कटियार को बुलाया गया. इस मीटिंग में विवादित स्थल से 20 फीट दूरी पर शिलान्यास को लेकर सहमति बनी. इसके बाद हिंदू संगठन से जुड़े दलित कामेश्वर चौपाल ने उसी स्थल पर शिलान्यास के लिए एक ईंट रखी.
30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों की भीड़ जुट गई. इसके बाद पुलिस ने कार सेवकों पर फायरिंग कर दी. यह फायरिंग यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर की गई थी. पहले दिन की फायरिंग में 6 लोग मारे गए.
साल 2014 में कोबरापोस्ट के एक स्टिंग ऑपरेशन में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने खुलासा किया कि मंदिर आंदोलन में उमा मुख्य रूप से सक्रिय थीं. कोबरापोस्ट के स्टिंग में उमा ने कहा था कि जब गोली चली, तो विनय कटियार भाग गए. कटियार के भागने की वजह से कार्यकर्ताओं में भगदड़ मच गई और कई कार्यकर्ता भगदड़ की वजह से मर गए. इस तथ्य का न तो उमा भारती ने और न ही विनय कटियार ने कभी खंडन किया. हालांकि, भारती ने यह जरूर कहा कि इस स्टिंग के पीछे कांग्रेस है.
सीबीआई चार्जशीट के मुताबिक, 5 दिसंबर 1992 को विनय कटियार के फैजाबाद स्थित घर पर बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी के नेताओं के बीच सीक्रेट मीटिंग हुई. इस मीटिंग में ही बाबरी को गिराने की आखिरी रणनीति बनी थी. मीटिंग में लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल जैसे बड़े नेता मौजूद थे. सीबीआई के मुताबिक इसी बैठक में विनय कटियार को बाबरी गिराने का नेतृत्व सौंपा गया. इस मीटिंग के तुरंत बाद कटियार ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और अगले दिन का प्लान तैयार किया.
विनय कटियार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला है. राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने के फलस्वरूप रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने उन्हें भी आमंत्रित किया है. हालांकि अभी उन्होंने समारोह में जाना तय नहीं किया है. इसके पीछे स्वास्थ्य को कारण बताया है. यदि तबीयत ठीक रही तो जाने का सुअवसर नहीं छोड़ेंगे. First Updated : Thursday, 18 January 2024