बाबा सिद्दीकी केस: आरोपी का ऑसिफिकेशन टेस्ट, आखिर क्या होता ये?

एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में एक आरोपी व्यक्ति पर अस्थि परीक्षण किया गया ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह नाबालिग है या नहीं. हालांकि, सोमवार को हुए परीक्षण में यह दावा गलत साबित हो गया है जिसके बाद मुंबई की एस्प्लेनेड अदालत ने आरोपी को 21 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है.

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आरोपी

आरोपी की पहचान कश्यप के रूप में हुई जिसने दावा किया था कि उसकी उम्र 17 साल है, जबकि उसके आधार कार्ड में उसकी उम्र 19 साल थी. अस्थिभवन (ऑसिफिकेशन) हड्डियों के निर्माण की वह प्रक्रिया है जो मनुष्यों में शिशु अवस्था से लेकर किशोरावस्था के अंत तक होती है. तो चलिए इस टेस्ट के बारे में जानते हैं.

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ऑसिफिकेशन टेस्ट

ऑसिफिकेशन टेस्ट एक प्रकार का ट्रीटमेंट है जो आयु निर्धारित करने के लिए हड्डियों का विश्लेषण करती है. इस टेस्ट में शरीर की कुछ हड्डियों जैसे कि क्लेविकल, स्टर्नम और पेल्विस की एक्स रे रिपोर्ट निकाली जाती है. इससे हमारी हड्डियों में वृद्धि की डिग्री का पता लगाया जाता है.

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कब होता है टेस्ट

यह टेस्ट तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की सही उम्र का प्रमाण न हो, जैसे कि अपराध के मामलों में यह जानने के लिए कि आरोपी नाबालिग है या बालिग. लेकिन इन परीक्षणों को सबसे सटीक नहीं माना जाता है.

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वहीं कुछ खेल प्रतियोगिताओं में आयु प्रतिबंध होते हैं, तो वहां यह जांच की जाती है कि प्रतिभागी की उम्र सही है या नहीं. कुछ मामलों में, प्रवासियों की उम्र का निर्धारण भी इस परीक्षण के द्वारा किया जा सकता है.

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रेडियोलॉजिकल टेस्ट

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि, 'अदालतों ने हमेशा माना है कि रेडियोलॉजिकल टेस्ट द्वारा प्रदान किए गए साक्ष्य निस्संदेह किसी व्यक्ति की आयु निर्धारित करने के लिए एक उपयोगी मार्गदर्शक कारक हैं, लेकिन साक्ष्य निर्णायक और निर्विवाद प्रकृति के नहीं हैं.