लड़कों की सोच में भी बदलाव की जरूरत  लैंगिक समानता पर बॉम्बे हाईकोर्ट का बयान

बंबई उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी दी जिस पर उसने स्वतः संज्ञान लिया था. उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि लड़कों को लैंगिक समानता के बारे में शिक्षित और संवेदनशील बनाने की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी मानसिकता बदलने की जरूरत है.

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बदलापुर के एक प्री-प्राइमरी स्कूल में एक चौकीदार द्वारा दो 4 साल की बच्ची पर यौन उत्पीड़न के मामले में मचे बवाल के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और  दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान उन्होंने कहा, 'समाज में पुरुष वर्चस्व और अहंकारवाद कायम है, इसलिए लड़कों को छोटी उम्र से ही सही गलत व्यवहार के बारे में सिखाया जाना चाहिए'. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चौहान की खंडपीठ ने इस मुद्दे का अध्ययन करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सिफारिशें करने के लिए एक समिति गठित करने का सुझाव दिया है. 

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना चाहिए कि बच्चों को प्री-प्राइमरी स्तर से ही लैंगिक समानता और लैंगिक संवेदनशीलता के बारे में पढ़ाया जाए. पीठ ने कहा, "पुरुष वर्चस्व और पुरुष वर्चस्व अभी भी मौजूद है. जब तक हम अपने बच्चों को घर पर समानता के बारे में नहीं सिखाएंगे, तब तक कुछ नहीं होगा. तब तक निर्भया जैसे सभी कानून काम नहीं करेंगे.

एक समिति गठित करने का दिया सुझाव

अदालत ने कहा कि इस मुद्दे का अध्ययन करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्कूलों में पालन किए जाने वाले नियमों और दिशानिर्देशों की सिफारिश करने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी, एक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, एक महिला आईपीएस अधिकारी और बाल कल्याण समिति के एक सदस्य की सदस्यता वाली एक समिति गठित करने का सुझाव दिया.

लड़कों को सिखाना होगा सही-गलत में फर्क

मामले पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने बदलापुर पुलिस द्वारा जांच के प्रारंभिक संचालन पर फिर से नाराजगी  जाहिर की और कहा कि पुलिस को कुछ संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी. न्यायाधीशों ने कहा, "हम हमेशा लड़कियों के बारे में बात करते हैं. हम लड़कों को यह क्यों नहीं सिखाते कि क्या सही है और क्या गलत? हमें लड़कों की मानसिकता को तब बदलना होगा जब वे छोटे हों. उन्हें महिलाओं का सम्मान करना सिखाएं," उन्होंने जोर देकर कहा कि उचित जागरूकता की बहुत आवश्यकता है.

बदलापुर पुलिस की जांच में गंभीर चूक

न्यायाधीशों ने कहा, "लड़कियों में से एक और उसके परिवार को पुलिस स्टेशन आकर अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया था. बदलापुर पुलिस ने उनके घर जाकर बयान दर्ज करने की कोशिश भी नहीं की. बदलापुर पुलिस की जांच में गंभीर चूक हुई है.' महाधिवक्ता (एजी) बीरेंद्र सराफ ने कहा कि तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. महाधिवक्ता ने कहा कि आरोपी की तीन बार शादी हो चुकी है और उसकी पत्नियों के बयान दर्ज किए गए हैं. स्कूल परिसर से सीसीटीवी फुटेज के बारे में अदालत के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हार्ड डिस्क बरामद कर ली गई है और उसकी जांच की जा रही है.

शिक्षा अधिकारी ने किया दावा

ठाणे के शिक्षा अधिकारी ने मंगलवार को बदलापुर के एक स्कूल में दो लड़कियों के कथित यौन शोषण के मद्देनजर अपने निलंबन पर रोक लगाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया. शिक्षा अधिकारी ने दावा किया गया कि सरकारी आदेश राजनीति से प्रेरित था और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया था. अधिकारी बालासाहेब रक्षे ने अदालत से महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) के समक्ष उनकी याचिका की अंतिम सुनवाई तक निलंबन आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया, जिसने 26 अगस्त को उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को इस पद पर किसी अन्य अधिकारी की नियुक्ति करने से रोकने का अनुरोध किया.

First Updated : Wednesday, 28 August 2024