बागेश्वर बाबा की तगड़ी मांग: क्या बन सकता है सनातन बोर्ड

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने सनातन हिंदू बोर्ड बनाने की मांग उठाई है, यह कहते हुए कि यदि वक्फ बोर्ड हो सकता है तो हिंदुओं के लिए क्यों नहीं उनके बयान ने मौलानाओं में खलबली मचा दी है और उन्होंने हिंदू समाज की सहनशीलता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हिंदू एकजुट हों. क्या यह मांग वास्तव में हिंदू धर्म को एक नया मंच देगा या फिर समाज में तनाव बढ़ाएगी चर्चा जारी है और अब सबकी नजरें भारत सरकार के अगले कदम पर हैं.

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Bageshwar Baba Statement: प्रसिद्ध बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है जिसने धार्मिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है. उन्होंने कहा है कि अगर वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाएं हैं, तो सनातन हिंदू बोर्ड क्यों नहीं होना चाहिए. उनका यह बयान कई मुद्दों को लेकर बहस का केंद्र बन गया है.

धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हिंदू समाज की सहनशीलता देखकर उनका 'खून उबल रहा है'. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि लंबे समय से हिंदू समाज अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठा रहा है और अब समय आ गया है कि उन्हें अपनी पहचान और अधिकारों के लिए एकजुट होना पड़े.

भारत सरकार से मांग

बाबा बागेश्वर ने भारत सरकार से मांग की है कि हिंदू बोर्ड का गठन किया जाए जो हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा कर सके. उन्होंने कहा कि इस बोर्ड के माध्यम से हिंदू समुदाय के मुद्दों को उठाया जा सकेगा और समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया जा सकेगा. उनका मानना है कि यह एक सकारात्मक कदम होगा, जो हिंदू धर्म को मजबूती प्रदान करेगा.

मौलानाओं में खलबली

इस बयान के बाद मौलानाओं में खलबली मच गई है. कुछ मौलाना इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे धार्मिक सौहार्द को भंग करने वाला करार दे रहे हैं. वे कहते हैं कि इस तरह की मांगों से समाज में तनाव बढ़ सकता है. धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी बताया कि हिंदू बोर्ड का उद्देश्य हिंदू धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाना, धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देना और समाज में एकता को मजबूत करना होगा. उन्होंने कहा कि यह बोर्ड सभी हिंदू संप्रदायों को एक मंच पर लाने का कार्य करेगा.

सामाजिक समरसता की आवश्यकता

इस मुद्दे पर विचार करते हुए, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि हमें धार्मिक और सामाजिक समरसता को बनाए रखने की आवश्यकता है. वे कहते हैं कि सभी धर्मों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और संवाद के माध्यम से मुद्दों का समाधान निकालना चाहिए.

धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान केवल एक मांग नहीं है बल्कि यह एक संकेत है कि हिंदू समाज अब अपने अधिकारों और पहचान के लिए अधिक सक्रिय हो रहा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत सरकार इस मांग पर विचार करेगी और हिंदू बोर्ड का गठन होगा या नहीं. समाज में इस मुद्दे पर चर्चा जारी है और यह देखना होगा कि आगे क्या घटनाक्रम होता है.

First Updated : Tuesday, 24 September 2024