अगली महामारी के लिए रहें तैयार, नीति आयोग ने दी चेतावनी
कोविड के कारण कई परिवार बर्बाद हो गये. कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया. इसका गम आज भी पीड़ित परिवारों को सताता है. महामारी के चलते अगर पहले से सिस्टम बना लिया जाए तो क्या इसका समाधान निकाला जा सकता है, इस पर एक रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट स्वास्थ्य संस्थानों और संगठनों को भविष्य में होने वाली बीमारियों के प्रति सक्रिय रहने की चेतावनी देती है.
कोविड के कारण कई परिवार बर्बाद हो गये. कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया. इसका गम आज भी पीड़ित परिवारों को सताता है. महामारी के चलते अगर पहले से सिस्टम बना लिया जाए तो क्या इसका समाधान निकाला जा सकता है, इस पर एक रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट स्वास्थ्य संस्थानों और संगठनों को भविष्य में होने वाली बीमारियों के प्रति सक्रिय रहने की चेतावनी देती है.
नीति आयोग द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने भविष्य में स्वास्थ्य आपात स्थितियों या महामारी के प्रकोप से निपटने के लिए एक व्यापक ढांचे की सिफारिश की है. इस ढांचे को 'महामारी तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया' कहा जाता है. इसने 'सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन प्रबंधन अधिनियम' बनाने और पहले 100 दिनों के भीतर किसी भी महामारी को प्रभावी ढंग से रोकने की योजना की सिफारिश की.
नीति आयोग ने जारी किया रिपोर्ट
इस समिति का गठन जून 2023 में किया गया था. जिन्होंने कोविड-19 महामारी और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों के अनुभवों और चुनौतियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की. सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'कोविड-19 निश्चित रूप से आखिरी महामारी नहीं है. क्योंकि अप्रत्याशित रूप से बदलती जलवायु और मानव-पशु-पौधे की गतिविधियों को देखते हुए नए संक्रामक खतरे किसी भी समय उभर सकते हैं.'
न्यूरोसाइंस चिकित्सा को काफी नुकसान
समिति ने 11 सितंबर को प्रकाशित 'भविष्य की महामारी की तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए रूपरेखा' तैयार की है. कोरोना महामारी के कारण देश में न्यूरोसाइंस चिकित्सा को काफी नुकसान हुआ. मेडिकल की पढ़ाई अपर्याप्त थी. यह जानकारी इंडियन मेडिकल जर्नल ऑफ रिसर्च (IJMR) में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आई है.
डॉक्टरों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी
अध्ययन के मुताबिक, 2020 में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद चिकित्सा के अन्य क्षेत्रों के अलावा तंत्रिका विज्ञान से जुड़े शोध भी प्रभावित हुए. नौ अस्पतालों के 500 से अधिक डॉक्टर विभिन्न बीमारियों और उनके इलाज से संबंधित अध्ययन में शामिल थे, लेकिन 2021 में डेल्टा लहर के कारण डॉक्टरों ने अपना पूरा समय कोरोना वार्ड में बिताया. जिसके कारण कई डॉक्टरों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी.