Sandip Ghosh: पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल (WBMC) ने गुरुवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया. रेप और मर्डर केस साथ ही वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद यह कदम उठाया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि सीबीआई की हिरासत में मौजूद घोष का नाम पश्चिम बंगाल नगर निगम द्वारा तैयार पंजीकृत चिकित्सकों की सूची से हटा दिया गया है.बंगाल मेडिकल एक्ट, 1914 के विभिन्न प्रावधानों के तहत उनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) बंगाल चैप्टर ने पहले पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल से घोष का मेडिकल पंजीकरण रद्द करने का आग्रह किया था. पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने घोष को 7 सितंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें उनसे तीन दिनों के भीतर यह बताने को कहा गया था कि उनका पंजीकरण क्यों न रद्द किया जाए? पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, संदीप घोष जो वर्तमान में सीबीआई की हिरासत में हैं ने नोटिस का जवाब नहीं दिया.
संदीप घोष को 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या से संबंधित सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में पुलिस अधिकारी अभिजीत मंडल के साथ 2 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई के रिमांड नोट में कहा गया है कि घोष और मंडल दोनों ने परिवार की दूसरी पोस्टमार्टम की मांग के बावजूद डॉक्टर के शव का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने में मदद की थी.
आईएमए ने पश्चिम बंगाल नगर निगम के अध्यक्ष और टीएमसी विधायक सुदीप्तो रॉय को लिखे पत्र में सवाल उठाया कि परिषद द्वारा ऐसी कार्रवाई के लिए प्रावधान किए जाने के बावजूद घोष का मेडिकल पंजीकरण रद्द क्यों नहीं किया गया. आईएमए ने रॉय से घोष के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को अलग रखने और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने का आह्वान किया था. घोष और मंडल पर एफआईआर दर्ज करने में देरी करने का भी आरोप है.
सीबीआई ने कहा कि जिस दिन डॉक्टर का शव मिला, उस दिन घोष अपराध स्थल से जानबूझकर अनुपस्थित रहे. ट्रेनी डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार कक्ष में अर्धनग्न अवस्था में पाया गया था. हत्या के एकमात्र आरोपी संजय रॉय को घटना के तुरंत बाद अरेस्ट कर लिया गया था.
First Updated : Thursday, 19 September 2024