Bhole Baba Net Worth: हाथरस में हुए दुखद हादसे में 121 लोगों की जान चली गई. लेकिन इसका आरोपी बाबा अभी भी पकड़ में नहीं आया है. अब अधिकारियों ने सूरजपाल सिंह उर्फ भोले बाबा से जुड़ी 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का खुलासा करने वाले दस्तावेज जब्त किए हैं. बाबा दावा करते हैं कि वे कभी दान स्वीकार नहीं करते हैं. अपने दावों के बावजूद, वे 24 आलीशान आश्रमों की देखरेख करते हैं , आलीशान कारें चलाते हैं और निजी सुरक्षा बल रखते हैं.
अधिकारियों ने इस अपार संपत्ति के एक हिस्से का ब्यौरा देते हुए दस्तावेज जब्त किए हैं, जिसमें मैनपुरी में एक आश्रम भी शामिल है. हाथरस में उनके सत्संग में भगदड़ मचने से 121 लोगों की जान चली गई, फिर भी उनका नाम एफआईआर में दर्ज नहीं किया गया. घटना के बाद से ही वे लापता हैं और मैनपुरी में उनके आश्रम के बाहर 50 से ज़्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं.
दो साल तक भोले बाबा मैनपुरी में 21 बीघा ज़मीन पर बने आलीशान आश्रम में रहे. आश्रम में उनके और उनकी पत्नी के लिए छह बड़े कमरे हैं और बिना अनुमति के कोई भी अंदर नहीं जा सकता. मुख्य द्वार पर 200 लोगों के नाम दर्ज हैं जिन्होंने इसके निर्माण के लिए दान दिया है, जिसमें सबसे ज़्यादा दान 2.5 लाख रुपये और सबसे कम 10,000 रुपये है. ज़मीन को मिलाकर आश्रम की कीमत करीब 5 करोड़ रुपये आंकी गई है.
आश्रम का प्रबंधन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है और भोले बाबा के करीबी लोगों का दावा है कि उनके पास 24 आश्रम और 100 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन है. जब वह अपने अनुयायियों के सामने आते हैं, तो उन्हें अक्सर टाई और स्टाइलिश चश्मे के साथ सफेद थ्री-पीस सूट पहने देखा जाता है. वह कम से कम 20 वाहनों के काफिले के साथ जुलूस में पहुंचते हैं, जिसका नेतृत्व रास्ता साफ करने के लिए मोटरसाइकिलों पर काली वर्दी पहने 15 कमांडो करते हैं, जिनमें से ज्यादातर रॉयल एनफील्ड बुलेट हैं.
इटावा में सराय भूपत रेलवे स्टेशन के पास भोले बाबा का 15 बीघा जमीन पर आश्रम बना हुआ है. सत्संग हॉल गांव वालों ने बनवाया है, जिसमें कई कमरे, एक बड़ा हॉल और बाहर एक मंच है. स्थानीय युवक ललित कुमार के मुताबिक करीब ढाई साल पहले बने इस सत्संग हॉल में छोटे-मोटे आयोजन होते रहे हैं, लेकिन भोले बाबा अभी तक यहां नहीं आए हैं. उन्होंने बताया, "बाबा किसी बात से नाराज थे, जिस कारण आश्रम खाली पड़ा है. इसकी देखभाल गांव वालों की एक समिति करती है. इस आश्रम के निर्माण के लिए गांव वालों से चंदा इकट्ठा किया गया था."
कासगंज जिले के उनके पैतृक गांव बहादुर नगर में उनका पहला आश्रम है और यहीं से उनके साम्राज्य की शुरुआत हुई. यह हरि चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर है और 60 बीघा जमीन पर फैला है. आश्रम में सुरक्षा के लिए गार्ड पोस्ट हैं, जो ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है. यहां एक बड़ा सा गेट है और छत लाल रंग की है, जिससे यह किले जैसा लगता है. बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगा है, जिस पर लिखा है कि अंदर फोटो और वीडियो लेना मना है. आश्रम में भोले बाबा की गरुड़ पर सवार मूर्ति है. First Updated : Saturday, 06 July 2024