सुप्रीम कोर्ट से गुजरात सरकार को बड़ा झटका, बिलकिस बानो केस में खारिज की ये याचिका

Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में आज यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान बीजेपी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने मामले में दोषियों की रिहाई से संबंधित अपने आदेश में की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया है.

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Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में गुजरात में बीजेपी सरकार को एक बड़ा झटका लगा है. आज, गुरुवार को, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोषियों की रिहाई से संबंधित अपने आदेश में की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया है. गुजरात सरकार ने कोर्ट द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने का अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के दोषी 11 लोगों की समयपूर्व रिहाई को खारिज करते समय कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां की थीं. 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात सरकार की याचिका में यह भी कहा गया था कि कोर्ट की टिप्पणी कि राज्य सरकार ने 'दोषियों के साथ मिलीभगत करके काम किया है,' अनुचित है और मामले के रिकॉर्ड के खिलाफ है. सरकार ने इसे पक्षपातपूर्ण भी बताया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर असहमति जताते हुए टिप्पणी को बनाए रखा. इस फैसले यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट ने इस मामले को बड़ी गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार की दलीलों को स्वीकार नहीं किया है. 

सुनवाई के दौरान क्या बोल सुप्रीम कोर्ट?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन्होंने समीक्षा याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों का गहराई से अध्ययन किया है. कोर्ट ने कहा, 'हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नहीं है और समीक्षा याचिकाओं में ऐसा कोई गुण नहीं है, जिसके कारण आदेश पर पुनर्विचार किया जाए.'

कोर्ट ने रिहा किए 11 लोगों को जेल लौटने का दिया था आदेश 

जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जिन 11 लोगों को गुजरात सरकार ने 'अच्छे व्यवहार' के कारण रिहा किया था, उन्हें जेल वापस लौटना होगा. अदालत ने यह निर्णय देते हुए कहा कि राज्य सरकार इन लोगों को रिहा करने में सक्षम नहीं थी, जिससे समाज में व्यापक रोष उत्पन्न हुआ. 

कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार 

कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार को 'बिना सोचे-समझे' आदेश पारित करने के लिए फटकार लगाई और कहा कि छूट आदेश में योग्यता का अभाव है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दोषियों को केवल उसी राज्य से रिहा किया जा सकता है, जहां उन पर मुकदमा चला, जो इस मामले में महाराष्ट्र था. 

कोर्ट ने मई 2022 में दिए गए आदेश की भी कड़ी आलोचना की, जिसमें दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी गई थी. जजों ने कहा कि दोषियों ने 'धोखाधड़ी के माध्यम से' यह आदेश प्राप्त किया. कोर्ट ने यह सुझाव भी दिया कि गुजरात सरकार को 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग करनी चाहिए थी. First Updated : Thursday, 26 September 2024