Sexual Intercourse With Dead Body: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि मृत शरीर के साथ यौन संबंध (नेक्रोफीलिया) को भारतीय दंड संहिता (IPC) और पोक्सो अधिनियम के तहत बलात्कार नहीं माना जा सकता. कोर्ट का कहना था कि इन दोनों कानूनों के तहत बलात्कार का अपराध तब माना जाता है, जब पीड़ित जीवित हो.
कोर्ट ने यह फैसला एक मामले में दिया, जिसमें नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश पर एक मृत शरीर के साथ बलात्कार करने का आरोप था. हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि शव के साथ बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता, क्योंकि आईपीसी और पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध तब होते हैं जब पीड़ित जीवित हो.
कोर्ट ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति को बरी करने के फैसले को बरकरार रखते हुए की, जिसे मृत शरीर के साथ बलात्कार करने का आरोप था. हालांकि, उसे अन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था. कोर्ट ने मामले में आरोपी नितिन यादव और नीलकंठ नागेश को दोषी ठहराया था, जिन्होंने एक नाबालिग लड़की का अपहरण, बलात्कार और हत्या की थी. यादव को बलात्कार, अपहरण और हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा दी गई, जबकि नागेश को अन्य अपराधों के लिए सात साल की सजा मिली. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने साबित किया कि दोनों आरोपी दोषी थे.
इस फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि शव के साथ यौन संबंध को भारतीय कानून में बलात्कार नहीं माना जाता, हालांकि यह एक गंभीर अपराध है. कोर्ट ने कहा कि मृत शरीर के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना जरूरी है, लेकिन मौजूदा कानून के तहत इसे बलात्कार की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता. First Updated : Monday, 23 December 2024