Sadhguru Jaggi Isha Foundation: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ईशा फाउंडेशन और उसके संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव के खिलाफ चल रही कारावास की कार्यवाही को बंद कर दी है. यह फैसला तब आया जब दो महिलाओं ने बयान दिया कि वे अपनी मर्जी से फाउंडेशन के आश्रम में रह रही हैं. महिलाओं ने कोर्ट में कहा है कि वे बिना किसी दबाव के तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित आश्रम में अपनी मर्जी से रह रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, ईशा फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि महिलाएं सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग ले रही हैं और अपने माता-पिता के साथ नियमित संपर्क में हैं. हालांकि, तमिलनाडु पुलिस ने ईशा फाउंडेशन को लेकर चिंता जताई है.
दरअसल, यह मामला तब शुरू हुआ जब दो महिलाओं के माता-पिता ने एक याचिका दायर की थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि उनकी बेटियों को कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन के आश्रम में उनके इच्छा के खिलाफ रखा गया था. मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए पुलिस से कहा था. इसके बाद मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया. वहीं अब महिलाओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह अपनी मरजी से फाउंडेशन के आश्रम रह रही हैं जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बंद करने का फैसला लिया है.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ईशा फाउंडेशन के लिए एक राहत की बात है, लेकिन पुलिस की चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं. महिलाओं के स्वतंत्रता के अधिकार और उनके स्वैच्छिक निर्णय को मान्यता देने से यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका इस मामले में संतुलन बनाने का प्रयास कर रही है .पुलिस ने बताया कि पिछले 15 सालो में अलंदुरई पुलिस स्टेशन में छह गुमशुदा व्यक्तियों के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से पांच मामले बंद कर दिए गए हैं और एक की अभी भी जांच चल रही है. First Updated : Friday, 18 October 2024