‘हर 15 दिन में थाने में लगानी होगी हाजिरी’, आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका पर बोला सुप्रीम कोर्ट, केंद्र से भी मांगा जवाब
Anand Mohan Release Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के राजनेता आनंद मोहन को हर 15 दिन में पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगाने और अपना पासपोर्ट जमा करने को कहा है.
Anand Mohan Release Case: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए बिहार के राजनेता आनंद मोहन को हर हर 15 दिन में पुलिस थाने में हाजिरी लगाएंगे साथ ही स्थानीय पुलिस स्टेशन में अपना पासपोर्ट भी जमा करने को कहा है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है.
किसने डाली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका?
अदालत आनंद मोहन की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. आईएएस अधिकारी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने बिहार के राजनेता की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है. उन्होंने कहा है कि आनंद मोहन को निचली अदालत से मौत की सजा मिली थी. इसे हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया. अब जेल नियमों में बदलाव कर आनंद मोहन को रिहा कर दिया गया.
क्या है मामला?
आनंद मोहन को 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था. कृष्णैया की कथित तौर पर आनंद मोहन सिंह द्वारा उकसाई गई भीड़ ने हत्या कर दी थी. उन्हें उनकी सरकारी कार से खींचकर बाहर निकाला गया और पीट-पीटकर मार डाला गया. आनंद मोहन को 2007 में एक ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. एक साल बाद, पटना उच्च न्यायालय ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.
साल 2023 के अप्रैल महीने में बिहार सरकार ने आनंद मोहन को रिहा करने का फैसला किया. सरकार ने 14 साल या 20 साल जेल की सजा काट चुके 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया था. जिसके आधार मानकर आनंद मोहन को रिहा कर दिया था. जिसका दिवंगत आईपीएस कृष्णैया के परिवार ने विरोध किया है.