जन्मदिन विशेष: एक मुख्यमंत्री ऐसा भी... मोटरसाइकिल पर जाते देख विदेशी पत्रकार हुए हैरान, बोले ये CM हैं...?
जन्मदिन विशेष: मंडल कमीशन लागू होने से पहले कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति में उस मुकाम पर पहुंचे जहां उनके जैसे पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति के लिए पहुंचना असंभव सा था.
हाइलाइट
- 24 जनवरी को जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती
- सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा
जन्मदिन विशेष: बिहार की राजनीति में वह गरीबों की सबसे बड़ी आवाज बनकर उभरे थे. आज 24 जनवरी को जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई जाएगी. कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर केंद्र सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया. कर्पूरी ठाकुर एक बार बिहार के उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे. इसके साथ ही वह दशकों तक विधायक और विपक्षी दल के नेता भी रहे. सीएम होते हुए भी वो बहुत ही साधारण सा जीवन जीते थे. आज जननायक के जीवन से जुड़ी खास बातें आपको बताएंगे.
विरासत के नाम पर कुछ नहीं!
2014 में बिहार विधान परिषद की पत्रिका 'साक्ष्य' में जननायक से जुड़ी कई यादें साझा की गईं थीं. परिषद ने जो पत्रिका प्रकाशित की थी वो पूरी तरह से यह जननायक को समर्पित थी. इसमें बिहार के कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे जुड़ी अपनी यादों को साझा किया. 1952 में विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे. राजनीति में लंबे करियर के बाद जब उनकी मृत्यु हुई, तो उनके परिवार के पास विरासत में लेने के लिए घर तक नहीं था. उन्होंने न तो पटना में और न ही अपने पैतृक घर में एक इंच जमीन छोड़ी.
गरीबों की हर समस्या पर लेते थे एक्शन
पत्रिका में कई सीनियर नेताओं ने उनसे जुड़ी बातों का जिक्र किया, जिसमें निहोरा प्रसाद यादव भी शामिल थे. वो कहते हैं कि 'जब लोग उनके पास अपनी समस्याओं को लेकर आते थे, तो उसमें कई लोग तो ऐसे भी होते थे जो एकदम मैले कुचैले कपड़े पहने होते थे. सीएम उनकी बात सुनते और तुरंत ही समस्या के समाधान का निर्देश देते थे, कई बार वो उसी वक्त अधिकारियों को पत्र लिखकर समाधान की बात करते थे.
चलिए विदेशी लोगों से मिलने जाना है...
निहोरा प्रसाद यादव जी बताते हैं कि एक बार उन्होंने मुझसे कहा कि सुबह तैयार रहना कहीं जाना है. इसके बाद अगले दिन वो छह बजे तैयार होकर बाहर निकल आए. उन्होंने बताया कि जैसे ही में अपनी मोटरसाइकिल से उनके घर पहुंचा तो उन्होंने मुझसे कहा कि कहां...चलो स्टार्ट करों, चलना है. सीएम होकर वो मोटरसाइकिल से जाने की बात कर रहे थे, ये सुनकर मेरा खून सूख गया. दरअसल सीएम को कुछ विदेशियों से मिलने के लिए जाना था. उन्होंने बताया कि जब वो मोटरसाइकिल से सड़क पर निकले तो हर कोई उनको देखकर हैरान था.
कई दिनों से आए हुए थे विदेशी पत्रकार
कर्पूरी ठाकुर की सादगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब विदेशी मीडिया उनसे मिलना चाहती थी तब सीएम ने खुद ही पत्रकारों से आकर मिलने का वादा किया था. मुख्यमंत्री ने निहोरा प्रसाद यादव को बताया कि कुछ विदेशी पत्रकार मुझसे मिलना चाहते हैं इसके लिए मैने उन्हें प्रेसिडेंट होटल में रुकने के लिए कहा है. मैंने उनसे 6 बजे मिलने का वादा किया है.
फटा कोट पहन पहुंचे विदेश
कर्पूरी ठाकुर से जुड़ा एक किस्सा बहुत मशहूर है, बात 1952 की है जब वो पहली बार विधायक बने थे. उसी दौरान वो ऑस्ट्रिया जाने वाले एक प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे. इस वक्त उनके पास पहनने के लिए एक कोट तक नहीं था. उस दौरान उन्होंने अपने दोस्त से उनका कोट मांगा था. दुर्भाग्य से वो कोट भी फटा हुआ था लेकिन वो उसी को पहन कर विदेश चले गए. यूगोस्लाविया के प्रमुख मार्शल टीटो ने उसका कोट देखा और उनको एक कोट तोहफे में दिया.