Bihar News: बिहार में जातिगत जनगणना के आंकडे़ जारी, अति पिछड़े 36% और पिछड़ों की आबादी 27 फीसदी... देखें पूरी डिटेल

बिहार सरकार की तरफ से विकास आयुक्त विवेक सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि बिहार में 15.52 फीसदी सवर्णों की संख्या है, भूमिहार की आबादी 2.86 प्रतिशत है.

calender

Bihar Caste Census: बिहार सरकार ने काफी गतिरोध के बाद भी जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. आज यानी गांधी जयंती के दिन बिहार की नीतीश सरकार के मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों ने यह रिपोर्ट जारी की है. जारी किए गए आँकड़ों के मुताबिक़ बिहार की कुल आबादी में 13 करोड़ के क़रीब है. जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग की तादाद सबसे ज़्यादा है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने इन आंकड़ों को महज़ गुमराह करने वाला बताया है.

बिहार जातीय जनगणना के आंकड़े

अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36 फीसदी
पिछड़ा वर्ग 27 फ़ीसद
अनुसूचित जाति 19 फ़ीसदी
अनुसूचित जनजाति 1.68 फ़ीसद 
अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 फ़ीसद

 

जातिगत जनगणना में धर्म से जुड़े आंकड़े

हिंदू 81.9 फ़ीसद
मुसलमान 17.7 फ़ीसद
ईसाई 0.0576 फ़ीसद
सिख 0.0113 फ़ीसद
बौद्ध 0.0851 फ़ीसद
जैन 0.0096 फ़ीसद

प्रदेश में यादवों की संख्या सबसे ज्यादा 

प्रदेश में यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है, यहां पर करीब 14 फीसदी लोग यादव ( ग्वाला, घासी, अहीर, सदगोप और मैहर) रहते हैं. वहीं, यादव के बाद दूसरे नंबर पर कुशवाहा आबादी रहती है. इनका प्रतिशत 4.21 फीसदी है. 

ऐसे हैं जाति आधारित आंकड़ा 

बिहार सरकार की तरफ से विकास आयुक्त विवेक सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि बिहार में 15.52 फीसदी सवर्णों की संख्या है, भूमिहार की आबादी 2.86 प्रतिशत है. ब्राह्मणों की आबादी 3.66 फीसदी है. कुर्मी 2.87, मुसहर 3, राजपूत 3.45 फीसदी आबादी है. बता दें कि देश में जातिगत जनगणना की राजनीति तेज हो गई है. राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि देश के सामने एक मात्र मुद्दा जाति आधारित जनगणना है. उन्होंने आगे कहा कि, केंद्र की सत्ता में आने के बाद सबसे पहला काम जाति आधारित जनगणना करवाएंगे. 

कब-कब उठी जातीय जनगणना की मांग

देश में जातीय जनगणना का दौर काफी पुराना है. इसकी मांग आजादी के बाद पहली जनगाणना के दौरान से उठने लगी थी लेकिन उस समय के गृहमंत्री सरदार पटेल ने इसे खारिज कर दिया था. पटेल का मानना था कि इससे सामाजिक तानाबाना बिगड़ सकता है. साल दर साल ऐसे ही जातिगत जनगणना की मांग होती रही और ये क्रम 2011 में देखने को मिला. 

जातीय जनगणना पर विपक्ष का रुख

बिहार के विपक्ष के रूप में प्रमुख दल भाजपा पहले से ही इसका विरोध करती आई है. केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं रही है. हालांकि, अगर देश के विपक्ष की बात करें तो 18 जुलाई, 2023 को बेंगलुरू में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की बैठक में जातिगत जनगणना की मांग की गई थी और इसके पक्ष में कई तर्क भी दिए गए थे. First Updated : Monday, 02 October 2023