Chhath 2023: लोक आस्था के महापर्व छठ पर बिहार में कई परंपरा वर्षों से चली आ रही है जिसे लोग आज भी श्रद्धा और भाव से मानते हैं. इन्हीं परंपराओं में एक मिट्टी से बने हाथी अर्पित करने की परंपरा भी है जिसे आज भी निभाई जा रही है. मान्यता है कि, जब व्रती की मनोकामना को छठी मइया पूरा कर देती हैं तो व्रती उन्हें हाथी अर्पित कर आभार प्रकट करती है. मन्नत के अनुसार व्रती 1,2, 4, 5,6 मिट्टी के हाथी वर्ती छठी मइया को अर्पित करती हैं.
बिहार में छठ पर्व में मिट्टी के बने हाथी चढ़ाने का परंपरा काफी पूराना है जो आज भी कायम है. सूर्योपासना के महापर्व छठ में पवित्रता के लिहाजे से मिट्टी से बने सामानों का उपयोग किया जाता है. मिट्टी के बने हाथी, घड़ा, दिया, कोसी, ढक्कन की भी जरूरत होती है. इस हाथी को गन्ने के बने कोसी के बीच में रखकर पूजा किया जाता है.
छठ पूजा में महापर्व छठ के अवसर पर हाथी अर्पित करने की परंपरा बेहद खास है. मान्यता है कि जो लोग छठी मैया से मन्नत मांगते हैं और यदि उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो छठी मैया को हाथी अर्पित किया जाता है.
संध्या अर्घ्य देने के बाद घाट से घर आने के बाद आंगन में मिट्टी से बने हाथी की मूर्ति को सजाया जाता है. हाथी के ऊपर कलश ढक्कन और दीप रखा जाता है. कलश में ठेकुआ, गन्ना, फल रखा जाता है. ढक्कन के ऊपर रखे दीपक को जलाया जाता है. उसके बाद हाथी को चार गन्ने से बने कोसी से ढंका जाता है. इसके बाद सुबह घाट पर भी इसी तरह पूजा किया जाता है. वहीं अर्घ्य देने के बाद हाथी को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है. First Updated : Wednesday, 15 November 2023