Chhath Puja 2023: कौन है छठी मैया, क्यों 36 घंटे का कठिन उपवास रखकर महिलाएं करती है पूजा

Chhath Puja History: छठ पूजा बिहार का महापर्व है. यह बिहार ही नहीं झारखंड और पूर्व उत्तर प्रदेश में भी धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है. ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि, आखिर छठी मैया है कौन और उनकी पूजा का क्या महत्व है तो चलिए जानते हैं.

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Importance of Chhath Puja: छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ शुरू होती है जो छठ के पारण के दिन समाप्त होती है. छठ का यह पर्व लोक आस्था का प्रतीक है. इस त्यौहार में पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना तीसरे दिन संध्या अर्घ्य यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसी के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है.

बिहार झारखंड और पूर्व उत्तर प्रदेश में यह पर बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस व्रत के दौरान छठी मैया और सूर्य भगवान की पूजा की जाती है तो आईए जानते हैं कि आखिर छठी मैया है कौन? और उनकी पूजा क्यों की जाती है.

ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है छठी मैया-

धार्मिक ग्रंथों से मिली जानकारी के अनुसार, छठी मैया सूर्य देव की बहन है और ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है. पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि के रचना हुई थी तब  ब्रह्मा जी ने अपने शरीर को दो हिस्सों में बांट दिया था. उनके दाएं हिस्से से पुरुष और बाएं हिस्से से प्राकृतिक का जन्म हुआ था. प्राकृतिक ने अपने आप को छह हिस्सों में बांट दिया. प्रकृति देवी के छठवें हिस्से को  षष्ठी देवी कहा गया है. और षष्ठी देवी को ही छठी देवी यानी कि, छठी मईया कहा जाता है.

शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी है छठी मैया-

छठी मैया को शिशुओं का अधिष्ठात्री देवी कहा गया है. बच्चों की रक्षा करना छठी मइया का स्वाभाविक गुणधर्म है. इन्हें देवसेना के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है की, छठी मैया की पूजा करने से बच्चों को दीर्घायु की प्राप्त होती है और उन्हें आरोग्य का वरदान मिलता है. वहीं जिन महिलाओं को संतान नहीं होता है वैसी महिलाएं अगर छठी देवी की पूजा करती हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.

महाभारत काल से जूड़ा है छठ पर्व-

मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में जब अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया था. तब भगवान श्री कृष्ण ने उत्तरा को छठी माता का व्रत रखने का सलाह दिया था. बच्चों के जन्म के बाद घर में छठे दिन बच्चों की छठी पूजी जाती है. छठी पूजा जाने का मतलब छठी माता की पूजा से ही होती है. छठी की पूजा करने के बाद बच्चों को माता छठी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहा जाता है कि, जिस पर छठी मैया का आशीर्वाद रहता है उसे बच्चे का सारा संकट दूर हो जाता है. छठी मईया स्वयं अप्रत्यक्ष रूप से उसके साथ रहती है और उसकी सुरक्षा करती है. First Updated : Thursday, 19 October 2023