Chhath Puja 2023: छठ पूजा में महिलाएं क्यों लगाती हैं नाक से मांग तक सिंदूर, जानें इसके पीछे का महत्व
Chhath Puja 2023: आपने अक्सर देखा होगा कि, बिहार की महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि वह ऐसा क्यों करती हैं? अगर नहीं तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
हाइलाइट
- महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए नाक स मांग तक सिंदूर लगाती है.
Chhath Puja Sindoor Custom: अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि, छठ पर्व पर सुहागन महिलाएं अपनी नाक से लेकर मांग तक सिंदूर क्यों लगाती है? तो ऐसे में आपको बता दे की सिंदूर सुहाग का प्रतीक माना जाता है. इसलिए छठ पर्व हो या किसी भी पर्व में खासकर बिहार की महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगती है. हालांकि इसके पिछ कई मान्यताए भी है तो चलिए जानते हैं.
सिंदूर की मान्यता-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं का नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे एक कारण है. कहा जाता है कि, सुहागन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए ऐसे सिंदूर लगाती है. मान्यता है कि, जो भी महिलाएं ऐसा करती है उनकी पति की आयु लंबी होती है और वो ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं. इसलिए छठ पर्व हो या तीज हो या कोई भी त्यौहार हो उसमें बिहार की महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर भरती ही हैं. बिहार में यह परंपरा सालों से प्रचलन में है.
छठ पूजा के दौरान महिलाएं क्यों लगाती हैं नाक से मांग तक सिंदूर-
छठ पर्व पर महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर इसलिए लगाती है ताकि उनके पति की लंबी आयु हो, उनका समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़े. कहा जाता है कि, जो महिलाएं सिंदूर छिपा लेती है, उनका पति समाज में छुप जाता है और तरक्की नहीं कर पाता है इससे उसकी आयु भी कम हो जाती है. इस कारण छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर भरती हैं. इसके पीछे का महत्व यह भी है कि, महिलाएं अपने पति के प्रति प्रेम और सम्मान भी जाहिर करती हैं. छठ पूजा में तीन तरह के सिंदूर का इस्तेमाल होता है. पहला सुर्ख लाल, दूसरा सिंदूर पीला या नारंगी, तीसरा सिंदूर मटिया सिंदूर होता है.
सिंदूर से संबंधित विशेष कथा-
एक दूसरी कथा के अनुसार कहा जाता है कि, जब दुशासन गरजते हुए द्रौपदी के कक्ष में पहुंचा तब उन्होंने रितु स्नान नहीं किया था जिस कारण उन्होंने मांग में सिंदूर नहीं भरी थी. ऐसे में दुशासन ने कहा कि तूने अभी तक यह भी तय नहीं किया कि किसके नाम का सिंदूर लगाना है और ऐसा कह कर उसने द्रौपदी के बोल पकड़कर खींचने लगा. द्रोपदी बिना सिंदूर लगाए पतियों के सामने नहीं जा सकती थी. इसलिए उन्होंने जल्दी से सिंदूरदानी ही अपने सिर पर पलट लिया. उसके बाद गलती से सिंदूर नाक तक चला गया इसलिए वस्त्रहरण के बाद द्रौपदी में बाल खुले रखे और हमेशा नाक तक लंबा सिंदूर लगाया. इस आर्टिकल में दी गई जानकारी मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित Thejbt.com इसकी पुष्टि नहीं करता है अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट सलाह लें.