Chhath Puja 2023: क्या है छठ का इतिहास और पीछे की कहानी, जानिए सब कुछ

Chhath Puja 2023: यह केवल पर्व नहीं बल्कि महापर्व होता है. जो 4 दिनों तक चलता है. इसकी शुरूआत नहाए और खाए से होती है जो डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूरी होती है.

Chhath Puja 2023: उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में छठ का विशेष महत्व माना जाता है. यह केवल पर्व नहीं बल्कि महापर्व होता है. जो 4 दिनों तक चलता है. इसकी शुरूआत नहाए और खाए से होती है जो डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूरी होती है. यह खास पर्व साल में दो बार आता है. पहली बार 'चैत्र' में और दूसरी बार 'कार्तिक' में. 

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?

छठ को लेकर कई प्रचलित कथाएं हैं. जिसमें से एक हैं कि जब राम - सीता अपना 14 साल का वनवास करके अयोध्या लौटे थे तब रावण के वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि - मुनियों के आज्ञानुसार राजसूर्य यज्ञ करने का निश्चय किया था. इस पूजा के लिए मुग्दल ऋषि को बुलाया गया. मुग्दल ऋषि ने मां सीता के ऊपर गंगाजल छिड़ककर उन्हें पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने को कहा. 

इसके लिए 'मां सीता' ने आश्रम में ही रहकर '6 दिनों' तक ''भगवान सूर्यदेव'' की पूजा - आराधना की और 'सप्तमी' को सूर्योदय के वक्त फिर से ''अनुष्ठान'' कर उनका आशीर्वाद पाया.

छठ पूजा से क्या लाभ होता है?

 

Chhath Special 2023
Chhath Special 2023

छठ पूजा में व्रत रखने से कई लाभ मिलते हैं. यही कारण है कि लोग 'भगवान की भक्ति' में इतना लीन हो जाते हैं कि लोग इस 'ठिठुराती ठंड' में भी नदी और तालाब में खड़े होकर 'छठी मैय्या' को अर्घ्य देते हैं. इस पर्व के महत्व को जान जाएंगे तो ये जरूर समझेंगे की छठ से बड़ा कोई पर्व नहीं है.

* छठ कथा के अनुसार इस पूजा को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. जिन लोगों को लंबे समये से संतान सुख नहीं वह इस व्रत को जरूर रखें. इससे 'संतान' सुख का आशीर्वाद मिलता है.

* छठ में सूर्य देव की पूजा करने से 'त्वचा रोग' से मुक्ति मिलती है. इस पूजा से भगवान श्री कृष्ण के पुत्र कुष्ठ रोग से मुक्त हुए थे. 

* छठ पूजा करने 'पति की लंबी उम्र' होती है. इसलिए महिलाएं इस व्रत को पति व संतान के लिए रखती हैं. 

* 'नौकरी' और 'व्यवसाय' में अगर कोई परेशानी आ रही है तो छठ का व्रत बेहद ही लाभकारी है. 

छठ पूजा कैसे की जाती है?

* छठ पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर छठ व्रत का संकल्प लें. साथ ही 'सूर्यदेव' और 'छठ मैय्या' का ध्यान करें. 

* छठ के पहले दिन 'संध्याकाली अर्घ्य' दिया जाता है, इसमें डूबते सूर्य को जल दिया जाता है. इस वजह से सभी भक्तगण छठ घाट पर पहुंचकर स्नान करते हैं. 

* भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए ''बांस'' या ''पीपल'' की टोकरी या सूप का इस्तेमाल किया जाता है. 

* इन बांस व सूपों की टोकरियों में फल, फूल स गन्ने, कई पकवान आदि पूजा करने के लिए रखे जाते हैं. इसके साथ ही सबसे खास वस्तु सिंदूर को टोकरी पर लगाया जाता है. 

* सूर्य देव को अर्घ्य देते समय सभी जरूरी पूजा की सामग्रियों का होना अतियंत जरूरी होता है. इस बात का विशेष ध्यान रखें.

* इसके साथ ही सुबह से लेकर रात भर निर्जला व्रत रखकर अगली सुबह उगते हुए सूर्य को जल देकर मन ही मन कामना करें. 

'छठ पूजा' में कौन कौन से फल लगते हैं?

ऐसा कहा जाता है कि छठ पूजा में 'गन्ने का घर' बनाकर पूजा करने से 'छठी मां' प्रसन्न होती हैं. साथ ही उन्हें भोग में गन्ने, गुड़ , नारियल, केला, डाभ नींबू, सिंघाड़ा, सुपारी आदि का भोग लगाना चाहिए. इससे मां छठी प्रसन्न होती हैं. 

छठ पूजा कौन से देश में मनाई जाती है?

छठ पूजा वैसे तो भारत के हर हिस्से में मनाया जाता है लेकिन यह त्योहार खासकर बिहार राज्य में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. 

calender
14 November 2023, 12:41 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो