Explainer: विशेष राज्य का दर्जा देने की प्रथा साल 1969 में शुरू हुई थी. शुरुआत में विशेष राज्य का दर्जा केवल तीन राज्य (असम, नागालैंड, जम्मू कश्मीर) को दिया गया था. लेकिन आज कुल 11 राज्यों के पास विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है. हालांकि बिहार राज्य अभी भी इस लिस्ट से बाहर है. इस समय बिहार को विशेष राज्य की दर्जा देने की मांग खूब उठ रही है.
दरअसल, जातीय जनगणना के बाद नीतीश सरकार ने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. जानकारी के मुताबिक सीएम नीतीश कुमार केंद्र को इसके लिए फिर से चिट्ठी लिखने वाला है. बिहार सरकार ने आखिरी बार साल 2017 में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था.
दरअसल, समग्र विकास को देखते हुए कुछ राज्यों को केंद्र विशेष श्रेणी में रखा जाता है. इसलिए उन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त कहा जाता है. हालांकि भारत के संविधान में विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान नहीं है. लेकिन पहली बार साल 1969 में पांचवें वित्त आयोग के कहने पर केंद्र सरकार ने असम, नागालैंड और जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य दर्जा दिया था. लेकिन 3 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद कई राज्यों ने इसकी मांग शुरु कर दी. जिसके बाद केंद्र ने एक फार्मूला बनाया.
इस फॉर्मूले के आधार पर ही राज्यों को यह दर्जा दिया गया. आज के समय में भारत में 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है. जिसमें पूर्वोत्तर के सभी राज्य शामिल हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल और उत्तराखंड को भी विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है.
2018 में लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा कैसे मिलेगा इसके बारे में विस्तार से बताया है तो चलिए जानते हैं. विशेष राज्य का दर्जा राज्यों की भौगोलिक संरचना के आधार पर दिया जाता है. पहाड़ी और दुर्गम इलाके वाले राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है.
रूल के मुताबिक, अगर किसी राज्य की सीमा से अगर कोई देश की सीमा लगती है तो उस राज्य को भी विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकता है.
अगर किसी राज्य का जनसंख्या घनत्व कम है या किसी राज्य में जनजातीय लोगों की संख्या ज्यादा है तो उसे भी विशेष राज्य का दर्जा मिल सकता है.
इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य को भी विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकता है. हालांकि इसका मूल्यांकन करना केंद्र का काम होता है.
बता दें कि, केंद्र सरकार राज्य सरकार को विकास के लिए दो तरह से पैसे देती है. पहला तरीका अनुदान और दूसरा कर्ज कहलाता है. अनुमान केंद्र 30% पैसे अनुदान और 70% पैसे राज्य को कर्ज के रूप में देती है. हालांकि जब किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है तब केंद्र सरकार उसे 90% पैसे अनुदान और 10% पैसे कर्ज के रूप में देती है. इसके अलावा विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को एक्सेस, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स आदि में भी रियायत मिलती है. इसलिए सभी राज्य विशेष राज्य का दर्जा लेने के लिए मांग उठाते हैं.
भारत के एक राज्य बिहार गरीबी से जूझ रहा है. बिहार सरकार के हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 94 लाख परिवारों की आय 6000 से भी कम है. यह आबादी कुल आबादी का 34 प्रतिशत हिस्सा है. बिहार के अधिकांश लोग या तो बेरोजगार है या फिर बाहर जाकर दिहाड़ी, मजदूरी करके अपना जीवन चला रहे हैं. इतना ही नहीं बिहार की सीमा से नेपाल का अंतरराष्ट्रीय सीमा भी लगती है लेकिन फिर भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं है. ऐसे में कई बार बिहार सरकार ने राज्य को विशेष दर्जा देने के लिए केंद्र को चिट्ठी भी लिखा है लेकिन अभी तक बिहार को यह दर्जा नहीं मिल पाया है. इसके पीछे क्या वजह है चलिए जानते हैं.
अर्थशास्त्री Y.V.रेड्डी की अध्यक्षता वाले 14वें वित्त आयोग ने विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर केंद्र सरकार को एक सिफारिश की थी. जिसमें लिखा गया था कि, उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों को छोड़कर किसी अन्य राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा न दिया जाए. इस सिफारिश के जवाब में आयोग ने विशेष राज्य का दर्जा देने की बजाय पिछड़े राज्यों को विशेष सहायता पैकेज दिया जाए.
साल 2010 में कई राज्यों ने केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग शुरू कर दी थी. जिसके बाद केंद्र ने रघुराम राजन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई. इस कमेटी की रिपोर्ट बिहार के रास्ते में रोड़ा बन गया.
दरअसल रघुराम राजन ने देश के सभी राज्य को तीन श्रेणी में बांट दिया. पहली, सबसे कम विकसित, दूसरा अल्प विकसित और तीसरा अपेक्षाकृत विकसित. सबसे कम विकसित वाले राज्य की श्रेणी में बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, अरुणाचल , मेघालय, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को रखा गया.
हालांकि, सवाल यह है कि अगर कमेटी की रिपोर्ट को मानकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दिया गया तो बाकी राज्य भी इस दर्जा को पाने के लिए विरोध शुरू कर देगा. क्योंकि उड़ीसा भी लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहा है. वही झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी आदिवासी का हवाला देकर केंद्र सरकार से विशेष दर्जा देने की मांग कर रहा है.
आपको बता दें कि, 2013 के बाद आंध्र प्रदेश में भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग तेज हो गई है. जिसके बाद इतने सारे राज्यों की मांग को देखते हुए केंद्र सरकार इस मामले पर अपनी चुप्पी साध ली. First Updated : Friday, 24 November 2023