Karpoori Thakur: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न का ऐलान, पीएम मोदी बोले- मुझे खुशी है कि...
Karpoori Thakur: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया. वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे और पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे.
Karpoori Thakur: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया. वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे और पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे. कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की काफी दिनों मांग उठ रही थी. अब मंगलवार 23 जनवरी को JDU नेता केसी त्यागी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के साथ- साथ उनके नाम पर विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी. 24 जनवरी को उनकी 100वीं जयंती मनाई जाएगी.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर में भारत रत्न के ऐलान पर पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशती मना रहे हैं. यह प्रतिष्ठित सम्मान हाशिये पर पड़े लोगों के लिए एक चैंपियन और समानता और सशक्तिकरण के समर्थक के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है.
I am delighted that the Government of India has decided to confer the Bharat Ratna on the beacon of social justice, the great Jan Nayak Karpoori Thakur Ji and that too at a time when we are marking his birth centenary. This prestigious recognition is a testament to his enduring… pic.twitter.com/9fSJrZJPSP
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024
दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है. यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है.
कर्पूरी ठाकुर का जन्म कब हुआ था
कर्पूरी ठाकुर एक भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे. उनका जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर में हुआ था और 17 फरवरी 1988 को उनका निधन हो गया. ठाकुर ने बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने करियर में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे.
कितने बार रहें बिहार के मुख्यमंत्री?
कर्पूरी ठाकुर लगातार दो कार्यकाल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उनका पहला कार्यकाल दिसंबर 1970 से जून 1971 तक था, और दूसरा कार्यकाल दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक था. वह भारत में समाजवादी आंदोलन से जुड़े थे और सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के उत्थान के प्रयासों के लिए जाने जाते थे.
कर्पूरी ठाकुर का राजनीति में क्या योगादान था?
उनकी उल्लेखनीय पहलों में से एक आरक्षण नीति का कार्यान्वयन था. जिसका उद्देश्य शिक्षा और सरकारी नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों को अधिक प्रतिनिधित्व प्रदान करना था. ठाकुर जनता पार्टी के एक प्रमुख नेता थे और बाद में जनता पार्टी में विभाजन के बाद उन्होंने जनता दल (सोशलिस्ट) का गठन किया.
कर्पूरी ठाकुर को एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने सामाजिक समानता का समर्थन किया और समाज के वंचित वर्गों के कल्याण के लिए काम किया. बिहार की राजनीति में उनके योगदान और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है.