रिक्शा चालक रहे रत्नेश सदा को नीतीश कैबिनेट में मिली जगह, मांझी के वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी

Bihar Cabinet Expansion: संतोष कुमार सुमन के नीतीश कुमार कैबिनेट से इस्तीफे के बाद जदयू कोटे से सहरसा के सोनवर्षा विधायक रत्नेश सदा को मंत्रीपद की शपथ दिलाई गई। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने उन्हें पद और गोपनियता की शपथ दिलाई।

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Bihar Cabinet Expansion: नीतीश कैबिनेट से संतोष कुमार सुमन के इस्तीफे के बाद जेडीयू कोटे से सहरसा के सोनवर्षा से विधायक रत्नेश सदा को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने रत्नेश सदा को पद और गोपनियता की शपथ दिलाई। इस शपथ ग्रहण समारोह में सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, महागठबंधन के तमाम नेताओं के साथ साथ मंत्री पद की शपथ ले रहे रत्नेश सदा के परिवार के सभी लोग मौजूद रहे।

जातिगत समीकरण से मिला मंत्री बनने का मौका

रत्नेश सदा मुसहर जाति से ताल्लुक रखते है। वह लगातार तीन बार से सोनवर्षा सुरक्षित विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं। संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद मांझी समुदाय में अपनी पैठ बरकरार रखने को लेकर जदयू विधायक रत्नेश सदा को कैबिनेट में शामिल किया गया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि रत्नेश सदा को अनुसूचित जाति और जन-जाति कल्याण मंत्री विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। 

सामान्य पृष्ठभूमि से उठकर हासिल किया इतना बड़ा मुकाम

रत्नेश का जीवन काफी संघर्षों भरा रहा है। उनके पिता लक्ष्मी सदा मजदूर थे जबकि उनकी माता जी एक सामान्य गृहणी रही है। सियासत में आने के पहले वे खुद रिक्शा चलाकर अपना जीवन गुजर बसर करते थे। जदयू विधायक रत्नेश सदा ने अपना राजनीतिक सफर 1987 से शुरू किया था। जदयू में सांगठनिक जिम्मेदारियां नीभाते हुए पहली बार साल 2010 में जदयू के टिकट पर विधायक चुने गए। उसके बाद से लगातार तीसरी बार विधायक चुने जाने के बाद इस बार उनको नीतीश कैबिनेट में जगह मिली है।

23 जून को पटना में विपक्षी दलों की होगी बैठक

बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक के बाद एक बार फिर नीतीश कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। जिसमें महागठबंधन से कई नए चेहरों को जगह मिल सकती है।

जीतन राम मांझी का ये होगा अगला राजनीतिक कदम

बीते दिनों डॉ. संतोष कुमार सुमन ने यह कहते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दिया कि उन पर उनकी पार्टी हम पार्टी का जदयू में मर्ज करने का दबाव दिया जा रहा था,लेकिन चाहे कुछ भी हो जाए वो पार्टी का अस्तित्व नहीं मिटने देंगे, लेकिन राजनीतिक गलियारे में इस इस्तीफे के पीछे जीतन राम मांझी की बीजेपी की साथ हुई डील को इस इस्तीफे की बड़ी वजह मानी जा रही है।  First Updated : Friday, 16 June 2023