Supreme Court का बिहार सरकार को सख्त निर्देश, 'गंगा किनारे नहीं किया जाए कोई भी निर्माण कार्य'
Supreme Court : जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने बिहार सरकार को पटना में गंगा नदी के डूबक्षेत्र में निर्मित अवैध संरचनाओं को हटाने के बारे में शपथपत्र दायर करने का निर्देश दिया.
हाइलाइट
- गंगा नदी से सटे क्षेत्रों खासकर पटना और उसके आसपास न हो कोई निर्माण- SC
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को यह आदेश दिया है कि गंगा के किनारे, खासकर पटना और उसके आसपास, किसी तरह का कोई नया निर्माण न हो. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और ऑगस्टीन जॉर्ज मासी की पीठ ने निर्देश देते हुए कहा कि राज्य एक हलफनामा दायर करके अदालत को अनधिकृत संरचनाओं को हटाने में प्रगति की रिपोर्ट दे. ये हलफनामा बिहार के मुख्य सचिव द्वारा दायर किया जाएगा. पीठ ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने पटना और उसके आसपास गंगा नदी से सटे 213 अनधिकृत निर्माणों की पहचान की है और इन जगहों पर हो रहे अतिक्रमणों या निर्माणों को हटाने के लिए कदम उठाए गए हैं.
मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को
इस मामले में आगे की सुनवाई 5 फरवरी को होगी. पटना के एक निवासी द्वारा दायर याचिका में बताया गया है कि बाढ़ वाले कई जगहों से सभी आवासीय भवन और घर संबंधित अधिकारियों की अनुमति या अनुमोदन के बिना बोरवेल खोद रहे हैं. वहीं याचिका में ये भी बताया गया है कि राज्य की एजेंसियां ऐसे अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई न करके उन्हें बिजली का कनेक्शन दे रही हैं.
याचिका पर सुनवाई
वकील आकाश वशिष्ठ के द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है, "पटना में नौजर घाट से नूरपुर घाट तक फैले पारिस्थिति की के लिहाज से संवेदनशील गंगा बाढ़ के विशाल 520 एकड़ से अधिक क्षेत्र को हड़प लिया गया है।" साथ ही इसमें कहा गया है कि गंगा को स्वच्छ रखना महत्वपूर्ण और आवश्यक है. पटना की 55 लाख आबादी को पेयजल और घरेलू पानी की जरूरत है। इससे पहले, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने अपीलकर्ता के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें उल्लंघनों और उल्लंघनकर्ताओं के विवरण नहीं हैं।